नई दिल्ली– सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने मंगलवार को मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने 16 अक्टूबर को ईडी से पूछा था कि मनीष सिसोदिया के खिलाफ आरोप तय करने पर अब तक बहस शुरू क्यों नहीं हुई। किसी को इस तरह आप जेल में नहीं रख सकते। ईडी ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया था कि हम आम आदमी पार्टी को भी इस मामले में आरोपित बनाने पर विचार कर रहे हैं। पहले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ईडी पर बड़े सवाल उठाते हुए पूछा था कि सरकारी गवाह के बयान पर कैसे भरोसा करेंगे। क्या ये बयान कानून में स्वीकार्य होगा। क्या ये कही सुनी बात नहीं है।
कोर्ट ने कहा था कि सब सबूतों के आधार पर होना चाहिए वरना जिरह में ये केस दो मिनट में गिर जाएगा। सुनवाई के दौरान 5 अक्टूबर को मनीष सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि सिसोदिया को पैसे मिलने का कोई सबूत नहीं है। विजय नायर से सिसोदिया का कोई संबंध नहीं था। नायर पार्टी का कार्यकर्ता था और वह आतिशी और सौरभ भारद्वाज को रिपोर्ट करता था। उन्होंने कहा कि सिसोदिया 26 फरवरी से जेल में हैं। सुनवाई के दौरान ईडी ने सिसोदिया की जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि नीति पारदर्शी होनी चाहिए थी। जबकि शराब नीति के तहत पैसा कमाने के लिए षड्यंत्र रचा गया, पैसा लेकर छूट मुहैया कराई गई। ईडी ने कहा कि एक तरफ यह लोग पॉलिसी में बदलाव कर रहे थे वही दूसरी तरफ विजय नायर शराब व्यापारियों से मुलाकात कर रहे थे और रिश्वत ले रहे थे। विजय नायर द्वारा सीधे तौर पर रिश्वत की मांग की गई।
ईडी ने कहा था कि विजय नायर मनीष सिसोदिया के इशारे पर काम कर रहा था। सुनवाई के दौरान 4 अक्टूबर को जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने पूछा था कि जिस राजनीतिक दल को कथित तौर पर फायदा पहुंचा, उसे आरोपी क्यों नहीं बनाया गया। सुनवाई के दौरान सिंघवी ने कहा था कि मामले में सभी आरोपियों को जमानत मिल चुकी है, लेकिन उच्च टारगेट लोगों को अभी तक जमानत नहीं मिली है। सिंघवी ने कहा था कि मामले में कुल 50 हजार से ज्यादा दस्तावेज और पांच सौ से ज्यादा गवाह हैं। सिसोदिया के पास से एक पैसे की भी मनी लॉन्ड्रिंग का पता नहीं चला है। सरकारी गवाहों के बयान में सिसोदिया का लिंक नहीं मिला है। सिंघवी ने कहा था कि सभी आरोप मनीष सिसोदिया के करीबी सहयोगी विजय नायर पर जाकर रुक जाते हैं।
सीबीआई ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध किया है। सीबीआई ने सुप्रीम में दाखिल जवाबी हलफनामे में सिसोदिया की जमानत का विरोध करते हुए कहा है कि सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। सीबीआई ने कहा है कि सिसोदिया ऐसे मामलों में जमानत के लिए निर्धारित ट्रिपल टेस्ट को भी पूरा नहीं करते हैं। सीबीआई ने सिसोदिया को जमानत नहीं देने का अनुरोध करते हुए कहा है कि पहले ही वह सबूत नष्ट कर चुके हैं और पूछताछ के दौरान भी उन्होंने सहयोग नहीं किया। साथ ही वह राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति हैं। ऐसे में सिसोदिया को जमानत नहीं दी जा सकती है।
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सीबीआई ने अपने हलफनामे में मनीष सिसोदिया की पत्नी की बीमारी का जिक्र करते हुए कहा है कि उनकी पत्नी की बीमारी कोई नई बात नहीं है। उनकी बीमारी का इलाज पिछले 23 साल से चल रहा है। ऐसे में यह भी उनकी जमानत का आधार नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने 14 जुलाई को सिसोदिया की जमानत याचिका पर सीबीआई और ईडी को नोटिस जारी किया था। सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिंघवी ने दलील दी थी कि सिसोदिया की पत्नी की वाकई हालात खराब है। उनका 50 फीसदी शरीर विकलांग हो चुका है। सुनवाई के दौरान ईडी ने सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध किया था।