कहते हैं कि आयुर्वेद और सनातन संस्कृति एक दूसरे के पूरक हैं। आयुर्वेद में कुछ वनस्पतियां मुनष्य के लिए इतनी लाभकारी हैं कि उन्हें नवदुर्गा का स्वरूप माना जाता है। कौन सी हैं वो वनस्पतियां आइए जानते हैं-
1. प्रथम शैलपुत्री (हरड़) :- कई प्रकार के रोगों में काम आने वाली औषधि हरड़ हिमावती है जो देवी शैलपुत्री का ही एक रूप है.यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है यह पथया, हरीतिका, अमृता, हेमवती, कायस्थ, चेतकी और श्रेयसी सात प्रकार की होती है।
2. ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी) :- ब्राह्मी आयु व याददाश्त बढ़ाकर, रक्तविकारों को दूर कर स्वर को मधुर बनाती है।इसलिए इसे सरस्वती भी कहा जाता है।
3. चंद्रघंटा (चंदुसूर) :- यह एक ऎसा पौधा है जो धनिए के समान है। यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है इसलिए इसे चर्महंती भी कहते हैं।
4. कूष्मांडा (पेठा) :- इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है। इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं, इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो रक्त विकार दूर कर पेट को साफ करने में सहायक है। मानसिक
रोगों में यह अमृत समान है।
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5. स्कंदमाता (अलसी) :- देवी स्कंदमाता औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं। यह वात, पित्त व कफ रोगों की नाशक औषधि है। इसमें फाइबर की मात्रा ज्यादा होने से इसे सभी को भोजन के पश्चात काले नमक से भूंजकर प्रतिदिन सुबह शाम लेना चाहिए यह खून भी साफ करता है।
6. कात्यायनी (मोइया) :- देवी कात्यायनी को आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा, अम्बालिका व अम्बिका इसके अलावा इन्हें मोइया भी कहते हैं। यह औषधि कफ, पित्त व गले के रोगों का नाश करती है।
7. कालरात्रि (नागदौन) :- यह देवी नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती हैं। यह सभी प्रकार के रोगों में लाभकारी और मन एवं मस्तिष्क के विकारों को दूर करने वाली औषधि है। यह पाइल्स के लिये भी रामबाण औषधि है इसे स्थानीय भाषा में दूधी कहा जाता है।
8. महागौरी (तुलसी) :- तुलसी सात प्रकार की होती है सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरूता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र। ये रक्त को साफ कर हृदय रोगों का नाश करती है। एकादशी को छोड़कर प्रतिदिन सुबह ग्रहण करना चाहिए।
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9. सिद्धिदात्री (शतावरी) :- दुर्गा का नौवां रूप सिद्धिदात्री है जिसे नारायणी शतावरी कहते हैं। यह बल, बुद्धि एवं विवेक के लिए उपयोगी है। विशेषकर प्रसूताओं (जिन माताओं को ऑपरेशन के पश्चात अथवा कम दूध आता है) उनके लिए यह रामबाण औषधि है को इसका सेवन करना चाहिए।
आइए हम सभी इस नवरात्रि के पावन अवसर पर इन प्राकृतिक आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन कर स्वयं को स्वस्थ बनाएं एवं जन जन तक पहुंचाएं।