Nithari Kand News: निठारी कांड के आरोपी मनिंदर पंढेर लुक्सर जेल से रिहा हो गया है। जिसके बाद डी5 नंबर की मनिंदर पंढेर की कोठी के पास पुलिस तैनात की गई है। इसी साल जून में उसे गाजियाबाद की डासना जेल से लुक्सर लाया गया था। जहां उसे बीमार होने के चलते आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी नरसंहार में सीबीआई कोर्ट से फांसी की सजा पाए सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को दोषमुक्त करार दिया था। न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की खंडपीठ ने कहा, पुलिस दोनों के खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रही है, जांच पर नाखुशी जताते हुए कहा कि जांच बेहद खराब थी, सबूत जुटाने की मौलिक प्रक्रिया का पूरी तरह उल्लंघन किया गया और जांच एजेंसियों की नाकामी जनता के विश्वास से धोखाधड़ी है। हाईकोर्ट ने आगे कहा कि जांच एजेंसियों ने अंग व्यापार के गंभीर पहलुओं की जांच किए बिना एक गरीब नौकर को खलनायक की तरह पेश किया, उसे फंसाने का आसान तरीका चुना। कोर्ट ने ये भी कहा कि आरोपी अपीलकर्ताओं की निचली अदालत से स्पष्ट रूप से निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं मिला।
नोएडा के सेक्टर-31 स्थित निठारी गांव निवासियों के बच्चे वर्ष 2004 से लापता हो रहे थे। परिजन थाना सेक्टर-20 पुलिस से लेकर बड़े पुलिस अधिकारियों तक लगातार गुहार लगा रहे थे। मगर पुलिस गुमशुदगी दर्ज करने के बजाय पीड़ितों को भगा देती थी। गायब होने वालों में अधिकतर लड़कियां थीं। इस बीच पायल नाम की युवती भी निठारी की पानी की टंकी के पास से लापता हो गई। उसके पिता सेक्टर-19 निवासी नंदलाल ने सेक्टर-31 स्थित डी-5 नंबर की कोठी के मालिक मनिंदर सिंह पंढेर पर बेटी के अपहरण का शक जाहिर करते हुए पुलिस से शिकायत की। पुलिस ने नंदलाल को ही बेटी से देह व्यापार करने का आरोप लगाते हुए भगा दिया। नंदलाल ने रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने मामले की रिपोर्ट दर्ज करने के निर्देश देकर सीओ स्तर के अधिकारी को कोर्ट में बुलाया।
उसी साल 15 दिसंबर को अधिकारियों ने मनिंदर पंढेर और सुरेंद्र कोली से पूछताछ की और रात में ही छोड़ दिया था। जिसके बाद हाईकोर्ट में पेश रिपोर्ट में पंढेर और कोली को क्लीन चिट देते हुए नंदलाल को आरोपी बनाने का प्रयास किया गया था। हाईकोर्ट ने नंदलाल के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई की और पुलिस को प्रगति आख्या देने के लिए कहा था। जिसके बाद मोनिंदर की कोठी के पीछे नाले से बच्चों और महिलाओं के दर्जनों कंकाल बरामद किए गए। मोनिंदर और नौकर सुरेंद्र को आरोपी बनाया था। पुलिस की विवेचना के बीच ही मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया। सीबीआई ने दोनों के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के कुल 16 मामले दर्ज किए थे। सीबीआई की विशेष अदालत ने 13 फरवरी 2009 को दोनों को दुष्कर्म और हत्या का दोषी मानकर फांसी की सजा सुनाई थी।