नई दिल्ली- राष्ट्रपति (द्रौपदी मुर्मू) ने दुर्गा पूजा की पूर्व संध्या पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम शुद्ध आचरण एवं सेवाभाव से देश की एकता के लिए कार्य करेंगे। राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा, “दुर्गा पूजा के पावन अवसर पर, मैं देश और विदेश में रह रहे सभी भारतीयों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देती हूं। दुर्गा पूजा का पर्व बुराई पर अच्छाई, अज्ञान पर ज्ञान और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। दुर्गा माता की अलग-अलग रूपों में आराधना की जाती है। वे हमें विभाजनकारी और विध्वंसकारी प्रवृत्तियों से दूर रहने की शक्ति देती हैं। उन्होंने कहा कि मेरी मां दुर्गा से प्रार्थना है कि वे हमें नैतिकता के मार्ग पर चलने और समाज की भलाई के कार्य करने की प्रेरणा दें। हम राष्ट्र निर्माण के कार्यों में ससम्मान भागीदारी बढ़ाने के लिए अग्रसर रहें।”
उल्लेखनीय है कि दुर्गा पूजा का पर्व सभी भारतीय, अलग अलग रूपों में मनाते हैं विशेष रूप से पश्चिम बंगाल के लोग, महिषासुरमर्दिनी मां दुर्गा की पूजा अर्चना कर उत्सव को मनाते हैं। यह त्यौहार अश्विन (सितंबर-अक्टूबर) महीने में मनाया जाने वाला 10 दिवसीय त्योहार है। देश के लोग पंडालों में देवी दुर्गा की विशाल और सुंदर मूर्तियाँ स्थापित कर इस त्योहार को मनाते हैं। दुर्गा पूजा पंडाल रोशनी और अन्य सजावटी सामान से सजाया जाता है। दुर्गा पूजा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, क्योंकि यह राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का उत्सव है।
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पूजा की शुरुआत होती है महालया से। इस दिन देवी को पृथ्वी पर लाने के लिए प्रार्थना की जाती है। महा षष्ठी या पूजा के छठे दिन देवी दुर्गा की अद्भुत नक्काशीदार मूर्तियों का पंडालों में अनावरण किया जाता है। दुर्गा देवी की शक्ति और सुंदरता का प्रतिनिधित्व करने वाली ये मूर्तियाँ कला और आध्यात्मिकता का अद्भुत मिश्रण होती हैं। कार्यक्रम के दौरान सामाजिक-आर्थिक और धार्मिक बाधाओं को दूर करते हुए सभी वर्गों के लोग एक साथ इकट्ठा होते हैं। हर जगह सांस्कृतिक प्रदर्शन भी होते हैं। पारंपरिक संगीत, नृत्य और नाटक उत्सव का माहौल सभी को भावविभोर कर देता है। अंतिम दिन, जिसे विजयादशमी या दशमी के नाम से जाना जाता है, मूर्तियों को नदियों और झीलों में विसर्जित किया जाता है। यह संस्कार देवी की स्वर्ग में अपने निवास स्थान पर वापसी का प्रतीक है। यह एक भावनात्मक समय होता है जिसमें देवी माँ की पूजा अर्चना में व्यतीत किया हुआ समय भी होता है और उनके जाने का दुख भी होता है। दुर्गा पूजा एक धार्मिक उत्सव से कहीं अधिक है। यह एक सांस्कृतिक अवसर है जो सद्भाव, प्रसन्नता और इस विश्वास को बढ़ावा देता है कि अंततः बुराई पर अच्छाई की जीत होगी।
President Murmu greeted the countrymen eve of Durga Puja