बुन्देलखंड क्षेत्र में अब बंजर और गैरकृषि जमीन पर किसानों ने स्ट्राबेरी की खेती शुरू की है। थोड़ी सी लागत में तगड़ा मुनाफा मिलने की वजह से इस बार किसानों ने इसकी खेती का रकबा भी बढ़ाया है। विभाग ने भी स्ट्राबेरी की खेती को बढ़ावा देने के लिए बड़ी पहल की है। बुन्देलखंड क्षेत्र के हमीरपुर, बांदा, महोबा और जालौन समेत आसपास के इलाकों में किसानों ने परम्परागत खेती के बीच अब स्ट्राबेरी की खेती की तरफ कदम बढ़ाए है। स्ट्राबेरी ऐसा फल है जिसमें सभी तरह के पोषक तत्व मौजूद है इसीलिए इसकी डिमांड बाजार में लगातार बढ़ रही है। कम लागत में बड़ा मुनाफा देने वाली स्ट्राबेरी की खेती को लेकर किसानों में बड़ा उत्साह बढ़ा है।
हमीरपुर जिले के राठ क्षेत्र के चिल्ली गांव निवासी रघुवीर सिंह ने बताया कि एक बीघे खेत में स्ट्राबेरी के पौधे लगाए गए है जो अगले कुछ महीने में इसमें फल आने शुरू हो जाएंगे। बताया कि इसकी खेती की शुरूआत मुस्करा, बसेला, चिल्ली व गोहानी पनवाड़ी के साथ आसपास के गांवों में किसानों ने शुरू की है।
यहाँ के किसान गयाप्रसाद व मिथुन सिंह ने बताया कि इसकी खेती में लागत बहुत ही कम आती है मगर मुनाफा कई गुना होता है। 3 माह में ही स्ट्राबेरी के पौैधों में फल तैयार हो जाते है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसपी सोनकर ने बताया कि हमीरपुर जिले में तमाम किसानों ने स्ट्राबेरी की खेती की तरफ रुख किया है। इसकी खेती से किसानों की तकदीर भी आने वाले समय में बदलेगी। किसानों ने बताया कि स्ट्राबेरी के फल बाजार में तीन सौ से छह सौ रुपये किलो के भाव से बिकता है। इसकी जबरदस्त डिमांड भी है। यहां के आयुर्वेद चिकित्सक दिलीप त्रिपाठी ने बताया कि इस फल में प्रोटीन बहुतायत मात्रा में होता है। इसमें सभी तरह के पोषक तत्व होते है।
बाजार में बढ़ती डिमांड को देखते किसानों ने बड़े क्षेत्रफल में शुरू की खेती
बुन्देलखंड के चित्रकूट धाम बांदा मंडल के हमीरपुर समेत अन्य जिलों में स्ट्राबेरी की खेती पर बड़ी संख्या में किसानों ने दांव लगाया है। अकेले हमीरपुर जिले में ही सरकारी तौर पर स्ट्राबेरी की खेती शुरू की है। जबकि निजी तौर पर स्ट्राबेरी की खेती करने वाले किसानों की बड़ी संख्या है। हमीरपुर के जिला उद्यान अधिकारी आशीष कुमार पटेल ने बताया कि बसेला, बंधौली, परसी, जिटकिरी, पुरैनी, औता व बौखर गांव में 12 किसानों ने पहली बार स्ट्राबेरी की खेती शुरू की है। बताया कि इसकी खेती से किसानों की आमदनी दोगुनी होगी।
एक बीघे में ही स्ट्राबेरी की खेती में कम लागत पर होती है दोगुनी आमदनी
राठ क्षेत्र के चिल्ली गांव के किसान रघुवीर सिंह राजपूत ने बताया कि एक बीघा जमीन पर स्ट्राबेरी के पौधे लगाए गए थे। इसकी खेती में करीब ग्यारह हजार रुपये की लागत आई थी। बताया कि एक बीघे में स्ट्राबेरी की खेती करने पर 15 क्विंटल स्ट्राबेरी के फल आसानी से तैयार हो जाते है। राजेन्द्र सिंह व आनंद कुमार ने बताया कि इस समय खेतों में स्ट्राबेरी के पौधे रोपित कराए जा चुके है। अब अगले दो तीन माह में इसमें फल आने लगेंगे। तगड़ा मुनाफा होने के कारण आसपास के तमाम गांवों में भी लोग इसकी खेती की तरफ कदम बढ़ाए है।
एक हेक्टेयर में स्ट्राबेरी की खेती करने पर किसान पाएंगे बड़ा अनुदान
जिला उद्यान अधिकारी DHO आशीष कुमार पटेल ने कहा कि डिपार्टमेंट से भी एक हेक्टेयर में स्ट्राबेरी की खेती करने वाले किसान को 50 हजार रुपये का अनुदान मिलता है। इस साल गयाप्रसाद ने 0.5 हेक्टेयर में स्ट्राबेरी की खेती शुरू की है। वहीं उर्मिला 0.5 हेक्टेयर, देशराज, गयाप्रसाद, नवल किशोर, कल्ला, दयाशंकर, भगवानदीन, आशाराम, राधा किशुन व लखन आदि किसान 0.2-0.2 हेक्टेयर क्षेत्रफल में खेती कर रहे है। सर्वाधिक सरीला ब्लाक के पुरैनी गांव में किसान स्ट्राबेरी की खेती कर रहे है। बताया कि स्ट्राबेरी की खेती से किसान मालामाल होंगे।
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