संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि भारत दुनियाभर को धर्म की राह दिखा रहा है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत में पूरा जीवन है। जीवन को कैसे जीना है। हमें क्या करना चाहिए, यह सब बताया गया है। संतों का केवल नाम लेने मात्र से लोगों का भाग्य उदय हो जाता है, ऐसे में अगर संतों के साथ बैठने और उन्हे सुनने का अवसर मिल जाए तो फिर समझिए भाग्योदय होना ही है। मोहन भागवत गुरुवार को सहारनपुर के सरसावां में आयोजित श्रीकृष्ण मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आए थे।
ये भी पढ़ें- अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होंगे PM मोदी, CM योगी ने जताया आभार
इस दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि धर्म सभी को जोड़ता है। सभी के सुख की कामना करता है। सभी की उन्नति करता है। उसे ही धर्म कहते हैं। ऐसा धर्म सनातन है। वही शाश्वत है। सनातन धर्म को किसी ने उत्पन्न नहीं किया। वह हमेशा से है और रहेगा। जिस दिन सनातन खत्म हो गया, समझिए यह दुनिया ही खत्म हो जाएगी।
धर्म की परिभाषा समझाते हुए मोहन भागवत ने बताया कि धर्म के चार पहलू हैं- सत्य, करुणा, शुचिता और कपस यानि परिश्रम। इसी की चौखट पर चलना है, जो कदम इसके अंदर है, वह धर्म है और जो इसके बाहर है, वह अधर्म है। ये चार जो हैं वे शाश्वत धर्म हैं। यह कभी नहीं बदलेंगे। आचरण बदलेगा लेकिन आपका आचरण इन्हीं चार चौखट के अंदर रहना चाहिए। आपका आचरण इस चौखट के अंदर है या नहीं, यह आपको समय-समय पर संत बताएंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि जीवन में आने वाली परिस्थितियों से भागना नहीं है। मुकाबला करना है। यदि भाग गए तो जिंदा होते हुए भी मौत के समान है। प्रकृति के साथ चलें। यह धर्म की आवश्यकता है। दुनिया में ऐसे भी लोग हैं, जो दुष्ट हैं। उनसे घबराना नहीं है। हमारी किसी से दुश्मनी नहीं है। सभी को साथ लेकर चलना है। धर्म के साथ चलना है।
कार्यक्रम के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री कुंवर बृजेश सिंह, अंतर्राष्ट्रीय ज्ञान गुरु दीपांकर महाराज, शाकुम्भरी पीठाधीश्वर सहजानंद महाराज, कैराना सांसद प्रदीप चौधरी, रामपुर मनिहारान के विधायक देवेंद्र निम समेत बड़ी संख्या में संत और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।