Lucknow News- (मुस्लिम राष्ट्रीय मंच) की ओर से शुक्रवार को हजरतगंज चौराहे से तिरंगा यात्रा निकाली जायेगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इन्द्रेश कुमार तिरंगा यात्रा में शामिल होंगे। यह जानकारी मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक रजा रिज़वी ने दी।
तिरंगा यात्रा हजरतगंज चौराहे से हलवासिया मार्केट के सामने से होते हुए नॉवेल्टी चौराहा से होते हुए नगर निगम व दारुलशफा के सामने से होते हुए हजरतगंज चौराहे से क्राइस्ट चर्च कालेज हजरतगंज पर समापन होगा। कार्यक्रम में भारत माता की जय, मादरे वतन हिन्दुस्तान जिन्दाबाद-जिन्दाबाद, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का नारा है, पीओके हमारा है, देश के मुसलमानों का नारा है, पूरा का पूरा कश्मीर हमारा है आदि राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत नारे के साथ मार्च निकाला जायेगा। तिरंगा यात्रा का आयोजन आपसी मोहब्बत का पैगाम व इन्सानियत का सन्देश देने के लिए किया जा रहा है।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का इतिहास
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की विचार धारा हिंसा विरोधी है यह संगठन गाँधी के विचारों से प्रेरित है। इस संगठन के सदस्य राम, कृष्ण इत्यादि इष्टों को अपना पूर्वज मानते हैं। इनके अनुसार इस्लाम शांति का मजहब है जो किसी भी तरह के खून खराबे को बढावा नही देता। इसलिए ये जानवरों की बलि देने के खिलाफ हैं। इस संगठन का नारा है “हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई, आपस में सब भाई भाई” तथा यह संगठन धर्मनिरपेक्ष भारत का समर्थन करता है।
इस संगठन की विचारधारा “देश पहले मजहब बाद में”
भारत के मुस्लिम समुदायों को आरएसएस के साथ मिलाने के उद्देश्य से मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की स्थापना की गई थी। इसके सदस्यों एवं पदाधिकारियों का मानना है कि इस के द्वारा मुस्लिमों को आरएसएस और इसके सहयोगी संगठनों के करीब लेकर आ सकते हैं और यह कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस मुस्लिम समुदाय के भीतर नेतृत्व की कमी के लिए जिम्मेदार है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने कई मुद्दों पर आरएसएस का समर्थन किया है, जिसमें गाय-वध करने पर प्रतिबंध सम्मिलित है। इसके राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजल का कहना है कि गोधरा ट्रेन हादसे और 2002 के गुजरात दंगों के बाद के दिनों में संगठन ने गंभीर प्रतिरोध का सामना किया।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के फतवे का किया विरोध
नवंबर २००९ में भारत के सबसे बड़े इस्लामिक संगठनों में से एक जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने राष्ट्रगीत को एक गैर इस्लामिक गीत करार देकर फतवा पारित किया था । मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने उलेमा के फतवे का विरोध किया था । इसके राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजल ने कहा, “हमारे मुस्लिम भाइयों को उलेमा के फतवे का पालन नहीं, विरोध करना चाहिए क्योंकि राष्ट्रगीत देश का गीत है और हर भारतीय नागरिक को उसका सम्मान करना चाहिए।” मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के अनुसार, वो मुसलमान जिन्होंने राष्ट्रगीत गाने से मना कर दिया , वे इस्लाम और भारत दोनों के विरोधी थे।
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अगस्त २००८ में, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने अमरनाथ तीर्थ यात्रा के लिए भूमि आवंटन के समर्थन में दिल्ली से पैग़ाम -ए-अमन (शांति का संदेश ) का आयोजन किया। झारखंड शाही-इमाम मौलाना हिजब रहमान मेरठी के नेतृत्व में, यात्रा के 50 कार्यकर्ताओं को शुरू में जम्मू-कश्मीर की सीमा पर रोक दिया गया था। उन्हें बाद में जम्मू जाने की अनुमति दी गई, जहां उन्होंने श्री अमरनाथ संघर्ष समिति के साथ बैठकें कीं।
नवंबर २००९ में, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने आतंकवाद के विरोध में एक तिरंगा यात्रा (राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान में मार्च) का आयोजन किया, जो मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया की ओर अग्रसर हुई । एक हजार स्वयंसेवकों ने आतंक के विरुद्ध शपथ ली और अपने गृह जिलों में इसके खिलाफ अभियान चलाने की कसम खाई। सितंबर २०१२ में, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के लिए एक हस्ताक्षर अभियान का आयोजन किया, जो जम्मू-कश्मीर राज्य को सीमित स्वायत्तता देता है, और दावा किया कि उन्होंने 7,00,000 हस्ताक्षर एकत्र किए हैं।
कुल मिलाकर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच एक ऐसा संगठन है जो भारत की एकता और अखंडता के लिए निरंतर प्रयास करता रहता है।