Varanasi News: उत्तर प्रदेश के वाराणसी जनपद में राष्ट्र के अमर शहीदों की याद में दशाश्वमेधघाट पर गंगा सेवा
निधि की ओर से रविवार शाम आकाश दीप कार्यक्रम की शुरुआत होगी। घाट पर कार्तिक माह भर आकाश दीप प्रज्ज्वलित किए जाएंगे। इस अवसर पर भारतीय थल सेना, वायुसेना, सीआरपीएफ, पुलिस विभाग के अधिकारी भी मौजूद
रहेंगे।
तीन दशको से अनवरत चली आ रही इस परम्परा में बांस की डलियों में
टिमटिमाते दीप घाटों पर पर्यटकों को भी आकर्षित करते है।
गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र ने बताया कि
काशी में सदियों से गंगा घाटों पर अपने पूर्वजों की स्मृति में, उनके स्वर्ग लोक की यात्रा के मार्ग को
आलोकित करने के लिए आकाश-दीप जलाने की परम्परा रही है।
निधि के संस्थापक पं. सत्येन्द्र मिश्र को श्रद्धासुमन अर्पित कर घाट पर इसकी शुरूआत होती है। उधर गंगोत्री सेवा समिति के अध्यक्ष पं. किशोरी रमण दुबे के
नेतृत्व में शनिवार शाम प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर शहीदों की याद में आकाशदीप जलाने
की शुरूआत हुई। देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले पुलिस
एवं पीएसी के 11 शहीदों की
स्मृति में घाट पर आकाशदीप जलाए गए।
गंगा की मध्यधारा में दीपदान किया गया। शहीद जवानों
का नमन करते हुए आकाशदीप जलाने की शुरुआत पांच आचार्यों ने मां गंगा के षोडशोचार
पूजन से की। इसके बाद 101 दीप गंगा में प्रवाहित किए गए। इस दौरान घाट पर वेद मंत्रों
की गूंज होती रही। पीएसी बैंड की धुन के साथ अतिथियों ने अमर शहीदों की याद में
आकाशदीप प्रज्ज्वलित किए।
पं. किशोरी रमण दुबे ने बताया कि शहीदों की आत्मा का
मार्ग आलोकित करने के लिए गंगा तट पर आश्विन पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक
आकाशदीप जलाए जाते हैं। कार्तिक मास में दीपदान का खास महत्व है। उन्होंने बताया
कि चंद्रग्रहण से पहले प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर शहीदों की याद में आकाशदीप जलाए
गए।
आकाश-दीप से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार महाभारत युद्ध में प्राण देने वाले
वीरों की याद में भीष्म पितामह ने कर्तिक मास में दीप मालिकाओं से संतर्पण दिया
था। इसके बाद काशी के पंचतीर्थ घाटों जिनमें
दशाश्वमेध घाट,
पंचगंगा घाट, आदिकेशव घाट, केदार घाट तथा अस्सी घाट
पर इस प्रथा की शुरुवात हुईं। संपूर्ण कार्तिक
मास में बांस की टोकरियों में पूर्वजों, पितरों के स्वर्ग लोक की यात्रा मार्ग को आलोकित
करने के लिए आकाशदीप जलाये जाने लगें।
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