अयोध्या में इन दिनों श्रीराम जन्मभूमि स्थल पर निर्माणाधीन मंदिर के भीतर नक्काशी का काम तेजी से चल रहा है। राम मंदिर के प्रथम तल पर लगने वाले सभी स्तम्भ अबतक तैयार हो चुके हैं। ओडिशा के कारीगर इन स्तम्भों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां एवं कलाकृतियां बनाने में जुटे हैं। राम मंदिर के चारों तरफ एक परकोटा बनेगा। जहां एक ओर परकोटे में भगवान के मंदिर बनेंगे, वहीं दूसरी ओर परकोटे से बाहर श्रीराम जन्म से जुड़े ऋषियों के मंदिर बनेंगे।
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श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डाॅ अनिल मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि 350 फीट की लंबाई और 245 फीट की चौड़ाई में भगवान श्रीराम का ये भव्य मंदिर तीन मंजिला होगा। इस मंदिर में पांच गुम्बद बनेंगे। राम मंदिर के 350 खम्भों पर 6050 कलाकृतियां उकेरी जाएंगी। राम मंदिर में राजस्थान के पिंक सैन्ड स्टोन पत्थर का उपयोग किया गया है। इस पत्थर में कलाकृतियां अच्छी बनती हैं। इस पत्थर की न्यूनतम आयु एक हजार वर्ष आंकी गयी है।
डाॅ अनिल मिश्रा ने बताया कि राम मंदिर के चारों तरफ एक परकोटा बनेगा। ये परकोटा 14 फीट चौड़ा और 778 मीटर लम्बा होगा,, जिसमें श्रद्धालु परिक्रमा कर सकेंगे। इस परकोटे में भगवान सूर्य, भगवान गणेश, भगवान शंकर, हनुमान जी और मां अन्नपूर्णा का मंदिर बनेगा। वहीं, परकोटे से बाहर श्रीराम जन्म से जुड़े ऋषियों के मंदिर बनाए जाएंगे। ट्रस्ट के अनुसार परकोटे से बाहर गुरु वशिष्ठ, महर्षि वाल्मीकि, गुरु विश्वामित्र, अगस्त्य मुनि, अहिल्या व माता शबरी के मंदिर होंगे।
राम मंदिर में पूर्व दिशा से प्रवेश का मार्ग रहेगा। गर्भगृह में विराजमान रामलला के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को 32 सीढ़ियां चढ़नी पड़ेंगी। दिव्यांगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए रैम्प बनाए जाएंगे। इसके अलावा तीन प्रकार की लिफ्ट भी मंदिर में लगेगी।
जन्म के समय रामलला पर पड़ेंगी सूर्य की किरणें
इस मंदिर को ऐसा बनाया जा रहा है कि चैत्र रामनवमी के शुभ अवसर पर श्रीराम जन्म के समय गर्भगृह में विराजमान रामलला पर सूर्य की सीधी किरणें पड़ेंगी। रामजन्म के समय गर्भगृह में पड़ने वाली सूर्य की किरणों को वहां उपस्थित श्रद्धालु साफ-साफ देख सकेंगे। श्रीराम जन्म के समय देश-दुनिया में इसका प्रसारण किया जाएगा।