लखनऊ- किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (के.जी.एम.यू.) के इतिहास में स्वर्णिम उपलब्धि जुड़ गई। आर्थोपेडिक विभाग के चिकिसकों ने सर्जरी कर 51 वर्षीय महिला के कन्धे का प्रत्यारोपण सफ़लतापूर्वक किया। केजीएमयू में कूल्हे, घुटने आदि का विश्व स्तरीय प्रत्यारोपण पहले से हो रहा है, लेकिन कंधे का प्रत्यारोपण पहली बार किया गया। आर्थोपेडिक विभाग के विशेषज्ञ डॉ. कुमार शान्तनु ने बुधवार को बताया कि ऐसे मरीज़ों में जिनका कंधे का जोड़ पूर्णतया नष्ट हो जाता है और उसकी मांसपेशियां तथा लिगामेंट आदि रिपेयर योग्य नहीं रहते उन्हें कंधे के जोड़ के प्रत्यारोपण की आवश्यकता पड़ती है।
गोंडा के वीरपुर गांव भोज निवासी 51 वर्षीय महिला ननकान को गठिया रोग था। इसके कारण उसके दोनों कूल्हों का प्रत्यारोपण पहले ही केजीएमयू में सफलतापूर्वक किया गया था। पिछले एक साल से मरीज़ के दोनों कंधों में दर्द व जकड़न बढ़ गई थी। इसके कारण वह दोनों ही कंधे बिल्कुल नहीं उठा पाती थी। यहां तक कि अपना दैनिक कार्य भी नहीं कर पा रही थीं। पूर्व में हुए अपने दोनों कूल्हों के सफल प्रत्यारोपण के बाद उन्हें केजीएमयू पर पूरा भरोसा था इसलिए वह दोनों कंधे दिखाने के.जी.एम.यू .आईं। उन्होंने हड्डी रोग विभाग के प्रोफेसर कुमार शान्तनु को कंधा दिखाया। चिकित्सकों ने समस्त जांच के बाद कंधे का प्रत्यारोपण कराना निश्चित किया।
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दो दिन पहले मरीज के कंधे का पूर्ण प्रत्यारोपण हड्डी रोग विभाग में किया गया। यह प्रत्यारोपण डॉ. शान्तनु एवं विभागाध्यक्ष प्रो. आशीष कुमार द्वारा किया गया। डॉ. शान्तनु ने बताया कि मरीज़ को काफ़ी आराम है। घुटने एवं कूल्हे के प्रत्यारोपण तो काफ़ी संख्या में होते रहते हैं पर कंधे का प्रत्यारोपण मुश्किल होने के कारण केवल देश के मेट्रो शहरों में ही सामान्य तौर में किए जाते रहे हैं, पर अब केजमीयू में इसकी सुविधा उपलब्ध रहेगी। इसके लिए केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने अस्थि रोग विभाग को सफल शल्य चिकित्सा के लिए बधाई दी है।
Successful complete shoulder replacement in KGMU