अयोध्या न्यूज: विश्व फलक पर अयोध्या के दीपोत्सव की गूंज एक बार फिर अपनी अलग आध्यात्मिक पहचान स्थापित करेगी। संस्कृति और अध्यात्म के संगम के बीच योगी सरकार की पहल पर 09 से 11 नवंबर तक भरत कुंड, गुप्तार घाट, बिड़ला धर्मशाला, रामघाट व रामकथा पार्क में भारतीय संस्कृति बिखेरी जाएगी। जहां आध्यात्मिक दुनिया में यूपी नया मुकाम बनाएगी। वहीं सांस्कृतिक यूपी लोकगीतों, वाद्ययंत्रों, लोकसंस्कृति के जरिए अपनी गौरवशाली परंपरा को बढ़ाएगी। विलुप्त होने के कगार पर ग्रामीण परिवेश के धोबिया, फरुआही नृत्य के कलाकारों को भी सरकार ने दीपोत्सव जैसा अदि्वतीय मंच दिया है। तो रामनगरी में ब्रज के लोकनृत्य की भी बयार बहाने का अवसर उपलब्ध कराया।
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इस बार भी अवध में ब्रज के कलाकार कृष्ण की धरती की संस्कृति, भाषा और शैली से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करेंगे। अयोध्या के सातवें दीपोत्सव में भारत के कई प्रांतों की भाषा, शैली/बोली और संस्कृति का भी अद्भुत संगम दिखेगा। 09 से 11 नवंबर तक उत्तर प्रदेश और कई राज्यों के कलाकार प्रस्तुति देंगे। एक तरफ जहां अयोध्या की 12 रामलीलाओं के कलाकारों को मंच मिलेगा। सोनभद्र का आदिवासी नृत्य भी अलग छाप छोड़ेगा। आजमगढ़ के मुन्ना लाल और उनकी टीम धोबिया नृत्य, मथुरा के राजेश शर्मा व टीम मयूर नृत्य से मन मोहेगी। झांसी का राई नृत्य भी अयोध्या की पावन धरा पर होगा। जहां योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश के कई कलाकारों और विधाओं को मंच दिया है। वहीं अन्य प्रांतों की संस्कृति को भी अवध की धरती पर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर दिया है।
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केरल के कथकली नृत्य से कुंजीरमन और सिक्किम के सिंधी छम नृत्य से शरद चंद्र परिचित कराएंगे। वहीं जम्मू कश्मीर के मनदीप रूफ नृत्य के जरिए अपने प्रदेश की सांस्कृतिक झलक दिखाएंगे। छत्तीसगढ़ का गैंडी नृत्य, गुजरात का गरबा, ओडिशा का दाल खाई, कर्नाटक का ढोलू कुनीथा, राजस्थान के कालबेलिया नृत्य से कलाकार भगवान राम के श्रीचरणों में अपनी हाजिरी लगाएंगे। यूपी की योगी सरकार अधिक से अधिक कलाकारों को मंचीय प्रतिभा दिखाने का अवसर दे रही है। इसके लिए तैयारी भी हो चुकी है। यहां प्रदेश के लखनऊ, अयोध्या, काशी, मथुरा, प्रयागराज, गोरखपुर, आजमगढ़, भदोही, गोंडा, सोनभद्र, गाजीपुर, बाराबंकी, अंबेडकर नगर, अकबरपुर, सुल्तानपुर, झांसी, बांदा समेत कई भाषाओं और शैलियों से जुड़ी संस्कृति की झलक भी अवध में देखने-सुनने को मिलेगी।