कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी धनतेरस पर्व पर शुक्रवार से काशीपुराधिपति की नगरी वाराणसी स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा की आराधना में लीन हो गई है। माता के दरबार का पट खुलते ही दर्शन-पूजन के साथ अन्न धन का खजाना पाने के लिए कतारबद्ध श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। कड़ी सुरक्षा के बीच मंदिर के प्रवेश द्वार से माता के दरबार में पहुंच कर श्रद्धालुओं ने स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा का दर्शन किया। इस दौरान माता रानी का खजाना, धान का लावा व प्रसाद (सिक्का) महंत शंकर पुरी दोनों हाथों से भक्तों में बांटते रहे।
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दरबार में आने वाले श्रद्धालु रात ग्यारह बजे तक माता के इस स्वरूप का दर्शन कर पाएंगे। स्वर्णमयी मां के दिव्य प्रतिमा का दर्शन अगले चार दिनों अन्नकूट पर्व तक श्रद्धालु कर सकेंगे। धनतेरस पर्व पर मां अन्नपूर्णेश्वरी का आर्शीवाद और खजाना पाने की लालसा लेकर श्रद्धालु महिलाएं गुरुवार से कतारबद्ध होने लगीं थीं। महिलाओं ने पूरी रात और आज दोपहर तक बैरिकेडिंग में सड़क पर बैठकर भजन करते हुए रात गुजारी।
श्रद्धालु महिलाओं की कतार देर शाम ही बांसफाटक से केसीएम तक पहुंच गई थी। इसकी जानकारी महंत शंकर पुरी को हुई तो उन्होंने मंदिर के स्वयंसेवकों को उनकी सेवा के लिए भेजा। स्वयंसेवकों की टीम खजाने की प्रतीक्षा में सड़क किनारे बैठे भक्तों को नाश्ता, पेयजल, चाय आदि का वितरण करती रही।
श्रद्धालु माता रानी का जयकारा लगाते हुए दर्शन पूजन की आस में कतारबद्ध रहे। अन्नपूर्णा मंदिर के प्रथम तल पर स्थित गर्भगृह में स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा के विग्रह को विराजमान कराकर विधिवत सुगंधित फूल-मालाओं, स्वर्णआभूषणों से विधिवत श्रृंगार किया गया। भोर में लगभग चार बजे मंदिर के महंत शंकर पुरी ने भोग लगाने के बाद मंगला आरती की। इस दौरान खजाने का पूजन भी किया गया।
आज अपराह्न में जैसे ही मंदिर का पट आम श्रद्धालुओं के लिए खुला लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी तक कतार बद्ध बैठे श्रद्धालु उत्साह से भर गये। चारों ओर माता रानी का जयकारा, हर-हर महादेव का गगनभेदी उद्घोष सुनाई देने लगा। श्रद्धालु अपनी बारी आने पर पूरी श्रद्धा से दरबार में मत्था टेकते रहे। खास बात यह रही कि पूरी रात और दोपहर सड़क पर गुजारने के बाद भी उनके चेहरे पर थकावट का भाव नही दिखा।