बदायूं- बिसौली तहसील के फैजगंज और बेहटा गांवों के बीच इस बार पत्थरमार दिवाली की अनोखी परंपरा नहीं हो सकेगी। पुलिस ने इस परंपरा पर रोक लगा दी है। शनिवार सुबह से ही पुलिस दोनों गांवों के सीमा पर तैनात है। ताकि कोई भी गांव वाला इस परंपरा को बढ़ावा न दे सके।
संभल और रामपुर जिलों के बार्डर पर फैजगंज व बेहटा नाम के गांव स्थित हैं। आसपास के गांवों को जोड़कर यहां सुरक्षा के लिहाज से एक थाना भी बनाया गया था, जो फैजगंज बेहटा नाम से है। बार्डर का थाना होने के कारण यहां सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त रखना भी काफी चुनौतीभरा है।
वजह है कि यहां से संभल ही नहीं बल्कि रामपुर व बरेली जिले की सीमा भी दूर नहीं है। ऐसे में दूसरे जिलों के लोग यहां आपराधिक घटनाएं करके भाग जाते हैं। इस इलाके में दिवाली पर एक अनोखी परंपरा वर्षों से चली आ रही है, जिसका नाम पत्थरमार दिवाली है।
दरअसल पत्थर मार दिवाली पर फैजगंज व बेहटा गांवों के लोग दिवाली वाले दिन मनाते हैं। दोनों गांवों के लोग अपने गांव की सीमा पर पहुंचकर एक-दूसरे पर पथराव करते हैं। इस हमले में जो घायल होता था वो न तो थाने जाता और न ही बदले की भावना रहती थी। जमकर पथराव के बीच दर्जनों लोगों को चोटें लगती थी। किसी का सिर फूटता तो किसी का हाथ टूटता, लेकिन कोई भी इसकी शिकायत नहीं करता था। बल्कि शाम को घायल होने वाले व्यक्ति के घर दूसरे गांव के लोग जाकर उसका हालचाल लेते और गले मिलते थे।
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पिछले चार साल से पुलिस ने इस परंपरा पर रोक लगा दी है। पहले से ही गांव के तमाम लोग मुचलका पाबंद किए जाने लगे और उन्हें ऐसा न करने के लिए पुलिस ने जागरूक भी किया, ताकि किसी तरह की जनहानि या रंजिश न पनपने पाए। वहीं पुलिस भी गांवों में तैनात की गई। ऐसे में इस परंपरा पर रोक गई। हालांकि कुछ लोग इसे उनके अधिकारों का हनन मानते हैं जबकि कुछ लोगों का मानना है कि जो परंपराएं किसी का अहित करती हों उन्हें छोड़ देना चाहिए।