उत्तरकाशी- उत्तरकाशी के सिल्क्यारा टनल में फंसे 40 मजदूरों का निकालने का कार्य जारी है।
अमेरिकी जैक एंड पुश अर्थ ऑगर मशीन से लगातार ड्रिलिंग जारी है। यह हाईपावर मशीन
एक घंटे में पांच से छह मीटर तक ड्रिल कर रही है लेकिन डेढ़ घंटे में तीन मीटर
पाइप ही मलबे में जा पा रहे हैं। डीएम
अभिषेक रूहेला ने बताया कि शुक्रवार सुबह सात बजे तक 21 मीटर ड्रिल किया
जा चुका है। पाइपों को वेल्ड करने में और एलाइनमेंट करने में अधिक समय लग रहा है।
ड्रिलिंग जारी है और उम्मीद है अब जल्द ही फंसे हुए 40 श्रमिकों का
जल्द सकुशल रेस्क्यू हो जाएगा। इधर,
रेस्क्यू
ऑपरेशन पर प्रधानमंत्री कार्यालय लगातार नजर
बनाए हुए है।
आपको बतादें कि उत्तराखंड
में चार धाम राजमार्ग परियोजना पर एक निर्माणाधीन सुरंग (Uttarkashi Tunnel
Accident) के ढहने से उसके मलबे के भीतर 12 नवंबर से फंसे 40
श्रमिकों
को बाहर निकलने की जद्दोजहद जारी है. सभी श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए
सुरंग में पाइप से ‘एस्केप सुरंग’ बनाने के लिए
खुदाई शुरू हो चुकी है और माना जा रहा है कि 40 श्रमिकों को
बाहर निकालने में 24 घंटे से अधिक का समय लग सकता है।
दरअसल,
चारधाम
‘ऑल वेदर’ सड़क परियोजना के तहत निर्माणाधीन
सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का एक हिस्सा रविवार को भूस्खलन से ढह गया था और तब से
श्रमिक उसके अंदर फंसे हुए हैं। उन्हें निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव एवं राहत
अभियान जारी है। बचाव एवं राहत कार्यों की निगरानी कर रहे उत्तरकाशी के जिलाधिकारी
अभिषेक रूहेला ने बताया कि मिट्टी खुदाई करने वाली ऑगर मशीन और 900 मिलीमीटर
व्यास के पाइप सुबह ही मौके पर पहुंचा दिए गए थे और सुरंग में ‘ड्रिलिंग’
(खुदाई)
शुरू कर दी गई है. देहरादून से बोरिंग मशीनें और आठ विशेषज्ञों की एक टीम उस स्थान
पर है, जहां यमुनोत्री-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिल्क्यारा और बारकोट
के बीच आगामी 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग का एक हिस्सा भूस्खलन के
कारण ढह गया, जिससे मजदूर फंस गए। बता दें कि 853 करोड़
रुपये की सुरंग चार धाम ऑल वेदर रोड परियोजना का हिस्सा है।
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12 नवंबर
को सुबह करीब 5.30 बजे उस वक्त 100 मीटर लंबी छत
गिर गई, जब मजदूर री-प्रोफाइलिंग का काम कर रहे थे। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों की
मानें तो मलबे में एक पाइप डालने के लिए विशेष मशीनें तैनात की गई हैं ताकि फंसे
हुए श्रमिकों को इसके माध्यम से निकाला जा सके, उन्होंने कहा कि
घटनास्थल पर मिट्टी की स्थिति के कारण बचाव अभियान अपने आप में एक कठिन चुनौती है।
क्योंकि वहां की मिट्टी भुरभुरी है इसलिए बोरिंग बहुत सावधानी से की जा रही है।
भारत के सड़क परिवहन
और राजमार्ग मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड
यानी नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHIDCL)
के
अधिकारियों ने दावा किया कि फंसे हुए श्रमिकों के पास घूमने के लिए पर्याप्त जगह
है और उन्हें भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि श्रमिक मलबे के नीचे दबे नहीं हैं, छत बीच में ही ढह गई, श्रमिकों के घूमने-फिरने
के लिए सुरंग के अंदर की ओर लगभग 2 किमी की खुली जगह है। अधिकारियों ने
कहा कि सुरंग के नीचे बिजली की व्यवस्था कर दी गई है और वॉकी-टॉकी के माध्यम से
कार्यकर्ताओं से संपर्क स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने भोजन और पानी भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
Uttarkashi Tunnel Accident: Machine drilling