2017 से पहले बीमारू राज्य के रूप में पहचाने जाने वाला उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के आने के बाद नए-नए कीर्तिमान बन रहे हैं। साढे़ छह वर्ष पहले जहां प्रदेश के कई विभाग घाटे में चल रहे थे, वहीं योगी सरकार में वह न केवल घाटे से उबरे हैं बल्कि लाभ भी कमा रहे हैं। ऐसा ही एक विभाग है लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत आने वाला उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम लिमिटेड,, जिसने पिछले साढ़े छह वर्षों में पांच गुना अधिक लाभ कमाया है। इसके अनुसार करीब तीन गुना टर्न ओवर में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।
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योगी सरकार में उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम लिमिटेड ने पिछले साढ़े छह वर्षों में 370 सेतुओं का निर्माण किया है। इनमें 253 नदी सेतु, 107 आरओबी और 10 फ्लाईओवर शामिल हैं। इन सेतुओं के निर्माण से विभाग के टर्नओवर में पिछले साढ़े छह वर्षों में तीन गुना की बढ़ोत्तरी हुई है। निगम का वर्ष 2017-18 में टर्नओवर 1013.74 करोड़ रहा, वहीं इस वर्ष 2800 करोड़ से अधिक होने की उम्मीद है। पिछले साल 1946 करोड़ का टर्नओवर रहा। इसी तरह निगम के लाभांश में भी पिछले साढ़े छह वर्षों में पांच गुना की बढ़ोत्तरी हुई है।
वर्ष 2017-18 में निगम का लाभांश जहां 24.92 करोड़ का था। वर्ष 2022-23 में निगम ने रिकार्ड 119.63 करोड़ का लाभ कमाया था। वहीं निगम ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में 52 नदी सेतु और 45 आरओबी बनाने का लक्ष्य रखा। इसके सापेक्ष निगम ने अब तक 15 नदी सेतु और 15 आरओबी का निर्माण कार्य पूरा कर लिया है। 37 नदी सेतु और 30 आरओबी का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है।
सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि सेतु निगम राजधानी में अर्जुनगंज से मरीमाता मंदिर होते हुए शहीद पथ तक प्रीकॉस्ट सेगमेंटल बॉक्स प्रणाली पर आधारित एलिवेटेड फ्लाईओवर का निर्माण करने जा रहा है। निगम इस 2.10 किमी. के एलिवेटेड फ्लाईओवर का निर्माण कार्य 18 माह में पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इसमें शहीद पथ के नीचे अंडरपास का निर्माण कार्य भी शामिल है। इसके अलावा निगम राजधानी के अतिव्यस्ततम अवध चौराहे पर मेट्रो रेल की लाइन होने की वजह से जाम से मुक्ति दिलाने को पुशिंग तकनीक से अंडरपास का निर्माण करने जा रहा है।
इसके अलावा निगम की ओर से अयोध्या में निर्माणाधीन रेल उपरिगामी सेतुओं के नीचे वायाडक्ट भाग में आवश्यकतानुसार अयोध्या के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को दृष्टिगत रखते हुए सौंदर्यीकरण क्रीड़ा स्थल, पार्किंग, फूडस्टॉल, पार्क, शौचालय, फसाड, विज्ञापन स्थल इत्यादि का कार्य स्वपोषित अनुरक्षण मॉडल के अनुरूप विकसित कराया जा रहा है।