UP News: लोकसभा के तीन और तीन विधानसभा के पिछले चुनावों में भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ चुकी पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ. मोहम्मद अयूब ने सियासी सोच बदल ली है। उन्हें भाजपा के साथ भी चुनाव लड़ने में कोई परहेज नहीं हैं। उन्हें डेढ़ दशक के सियासी सफर के बाद लगने लगा कि सपा, बसपा और कांग्रेस ने मुस्लिम समाज को सिर्फ एक वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया है। ये तीनों दल चुनाव में मुस्लिमों का वोट तो लेते हैं। लेकिन जब सत्ता में आते हैं। तो इस समाज को न तो भागीदार बनाते और न ही ख्याल रखते हैं। हमको मौका मिलेगा तो एनडीए से गठबंधन करने को तैयार है।
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पसमांदा मुस्लिमों के बड़े नुमाइंदे के तौर पर पहचान रखने वाले डॉ. अयूब ने पार्टी के गठन के बाद 2012 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में चार सीटों पर जीत दर्ज करके मुस्लिम समाज पर पकड़ बनाई थी। लेकिन गठबंधन के दौर में किसी बड़े दल का साथ न मिलने से पीस पार्टी अलग-थलग पड़ गई। इस वजह से डॉ. अयूब भाजपा की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाने के प्रयास में जुटे हैं। एनडीए से गठबंधन को लेकर उनके बयान को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
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डॉ. अयूब ने कहा कि यूपी में पसमांदा मुस्लिम समाज जागरूक हो गया है। वह सिर्फ एक वोटबैंक बन कर नहीं रहना चाहता है। अब तक समाज सिर्फ धर्मनिरपेक्षता के नाम पर भाजपा को हराने के लिए वोट करता था, लेकिन अब समझ में आने लगा कि यह विचारधारा समाज को नुकसान पहुंचा रही है। इसलिए मुस्लिम समाज ने तय किया है कि जो दल हिस्सेदारी देगा, उसके साथ रहेंगे। अब हमारी किसी दल से दुश्मनी नहीं है। जो हमें भागीदारी देगा, हम भी उसका साथ देंगे। वह चाहे एनडीए ही क्यों न हो।