वाराणसी में श्याम मंडल की 11 दिनों की निशान शोभा यात्रा के अन्तिम दिन यानि गुरूवार को श्याम नाम की गूंज रही। मैदागिन स्थित पातालेश्वर मंदिर से श्री श्याम ध्वजा विशाल शोभा यात्रा निकाली गई,, जो बुलानाला, चौक, बांसफाटक, गोदौलिया, गिरजाघर होते हुए लक्सा स्थित श्री श्याम मंदिर में जाकर समाप्त हुई । शोभायात्रा के बाद श्याम प्रभु के चरणों में निशान अर्पण किया गया। इस दौरान प्रभु की आरती उतारी गई और श्याम चालीसा पढ़ी गई।
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इसके पूर्व शोभायात्रा में बतौर मुख्य अतिथि शामिल दण्डी स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने श्याम ध्वजा की पूजा अर्चना की और भक्तों को ध्वजा देकर यात्रा का शुभारंभ किया। शोभायात्रा में बैंड बाजे में श्याम नाम की धुन गूंजती रही। रास्ते भर भक्त भजन ‘लहर लहर लहराई रे श्याम ध्वजा लहराई रे…., हारे हारे हारे सहारा तू हारे का….गाते चल रहे थे। वाहन पर कृष्ण रूपी प्रभु श्याम की ऑयल पेंटिंग फूलों से सजाई गई थी। जो साथ आगे आगे चल रही थी। इसके पीछे महिलाएं, पुरुष, बच्चे श्याम ध्वजा लिए चल रहे थे।
महिलाएं सजी थाली लिए चल रहीं थीं। रथ पर राधाकृष्ण, शंकर, पार्वती, गणेश जी की जीवन्त झांकी चल रही थी। दूसरे रथ पर स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती बैठे थे।रास्ते भर भक्त प्रभु की आरती उतार कर प्रसाद वितरण कर रहे थे। शोभा यात्रा के बाद श्याम मंदिर में प्रभु श्याम का जन्म उत्सव मनाया गया। प्रभु की अलौकिक झांकी रंग बिरंगे फूलों से सजाई गई थी। प्रभु को छप्पन भोग लगाकर व केक काटकर प्रभु श्याम का जन्मदिन मनाया गया। केक का भक्तों में वितरण किया गया।