वाराणसी जिला कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर की सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एएसआई को 10 दिन का और समय दिया है। एएसआई ने जिला कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर 21 दिन के समय की मांग की थी, जिसके बाद उन्हें ये वक्त मिला है। ऐसा चौथी बार है जब सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एएसआई को मोहलत दी गई है।
जिला अदालत ने बुधवार को एएसआई से पूछा था कि सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने में क्यों बिलम्ब हो रहा है। प्रतिवादी पक्ष अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ताओं ने भी इस पर आपत्ति जताई। अदालत में एएसआई के अधिवक्ता ने बताया कि ज्ञानवापी में हुए सर्वे की रिपोर्ट अभी तैयार नहीं है। सर्वे में इस्तेमाल किए गए अत्याधुनिक ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार तकनीक के आंकड़ों को रिपोर्ट में शामिल करने में समय लग रहा है।
इसके पहले 17 नवंबर को एएसआई के अधिवक्ता ने 15 दिन का समय देने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। इस पर अदालत ने रिपोर्ट जमा करने के लिए 10 दिन का समय दिया था। 28 नवंबर को एएसआई को अदालत में सर्वे रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सौंपना था। रिपोर्ट समय से तैयार न होने पर एक बार फिर एएसआई ने अदालत से 21 दिन का और समय मांगा। अदालत ने प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के बाद एएसआई को चौथी बार 10 दिन का समय दिया है।
जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने 21 जुलाई को ज्ञानवापी के सील वजूखाने को छोड़कर शेष परिसर का एएसआई सर्वे कराने का आदेश दिया था। अदालत के निर्देश पर 24 जुलाई को एएसआई ने ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक सर्वे शुरू किया था। इसके बाद जिला अदालत के आदेश के विरोध में प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई सर्वे पर रोक लगा दी थी।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट से आदेश मिलने के बाद एएसआई के 40 सदस्यीय दल ने फिर ज्ञानवापी परिसर में चार अगस्त से सर्वे शुरू किया था। एएसआई ने सर्वे में ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार सिस्टम सहित अत्याधुनिक उपकरणों की मदद से ज्ञानवापी परिसर में बने ढांचे और इसके तहखानों से लेकर गुंबद और शीर्ष की नाप जोख कर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। इसमें हैदराबाद और कानपुर के एएसआई विशेषज्ञों ने भी पूरा सहयोग दिया।