इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए ज्ञानपुर के चौरहटा गांव में हुए सामूहिक हत्याकांड के सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। साल 2009 में एक ही परिवार के 5 लोगों की हत्या के मामले में सभी आरोपियों को उम्रकैद की सज़ा मिली थी, जिस पर हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया है।
दरअसल साल 2009 में ज्ञानपुर के ऊंज थाना क्षेत्र के चौरहटा गांव में एक ही परिवार के 5 लोगों की सामूहिक हत्या हुई थी, जिसमें ट्रायल कोर्ट ने सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को मिली उम्रकैद की सजा पलटते हुए उन्हें बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ संदेह से परे आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की खंडपीठ ने प्रेम शंकर उपाध्याय समेत सभी आरोपियों की अपीलों को स्वीकार करते हुए दिया।
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क्या है पूरा मामला ?
घटना सितम्बर 2009 की है। ज्ञानपुर के ऊंज थाना क्षेत्र के चौरहटा गांव में संगम लाल गुप्ता, उनकी पत्नी सावित्री देवी, दो बेटियां अनीता और रानी के अलावा पोती गुड़िया की हत्या कर दी गई थी। गांव के चौकीदार सरजू की तहरीर पर ग्राम प्रधान की ओर से अज्ञात लोगों के खिलाफ ऊंज थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई। कुछ दिनों के बाद मुंबई से आए संगम लाल के बेटे ने गांव के ही कुछ लोगों पर हत्या का आरोप लगाया, जो पुलिस की जांच में निर्दोष पाए गए थे।
ट्रायल कोर्ट ने प्रेम शंकर उपाध्याय, चंद्र प्रकाश, गुड्डा मिश्र उर्फ सच्चिदानंद, तीर्थराज गुप्ता, धर्मेंद्र कुमार बिंद, केदार मिश्र और श्यामदेव विश्वकर्मा को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। एक अभियुक्त विजय गुप्ता की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि अभियोजन पक्ष अभियुक्तों की हत्या में संलिप्तता के साक्ष्य देने में विफल रहा।