अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य जोरों पर है। रामलला के सिंहासन को रखने के लिए मंदिर के गर्भगृह में संगमरमर पर बने कमल के फूल के आसन को तैयार किया गया है। खगोलीय वैज्ञानिकों द्वारा जल्द ही इसकी ऊंचाई सेट की जाएगी।
राम मंदिर के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि कमल के फूल के जिस आसन पर रामलला का सिंहासन रखा जाएगा, उसे गर्भगृह में स्थापित कर दिया गया है। इसके लिए जल्द ही खगोलीय वैज्ञानिक इसकी ऊंचाई सेट करेंगे। इससे रामनवमी पर दोपहर 12 बजे सूर्य किरणें रामलला के ललाट का स्पर्श कर गर्भगृह को रोशन करेंगी।
डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि कार्यक्रम में शामिल होने वाले करीब 25 हजार लोगों के रहने, खाने व सुलभ दर्शन करवाने की व्यवस्था की जा रही है। 25 हजार लोगों के ठहरने के लिए 4 टेंट सिटी, धर्मशालाओं व मठ-मंदिरों में व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि रामलला की प्रतिमा की फोटो तभी खींची जा सकेगी, जब मूर्तिकार उनको वस्त्र पहना देंगे।
बता दें कि रामलला की मूर्तियों का निर्माण देश के तीन मूर्तिकार कर रहे है। मंदिर में दो मूर्तियां पांच साल के बाल रूप में रामलला की श्याम रंग की हैं, जबकि एक संगमरमर की है। मंदिर ट्रस्ट इनमें से सबसे लुभावनी प्रतिमा का चयन गर्भगृह के लिए करेगा। रामलला के दर्शन के लिए 45 दिनों तक करीब 25 हजार श्रद्धालुओं को हर रोज बुलाया जाएगा।
जोधपुर के ओम महाऋषि संदीपनी रामराज आश्रम से बैलगाड़ी से 600 किलो गाय का घी 108 कलशों में भर कर अयोध्या भेजा गया है। रामलला की स्थापना के अवसर पर रामलला के सामने जलने वाली ज्योति व प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के अनुष्ठान में इस गोघृत का प्रयोग किया जाएगा। ओम महाऋषि ने मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि को गोघृत सौंपा है।