51 शक्तिपीठों में शामिल मां पाटेश्वरी मंदिर देवीपाटन को काशी विश्वनाथ और मां विंध्यवासिनी मंदिर कॉरिडोर की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। इसे लेकर यूपी सरकार द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद जिला प्रशासन द्वारा रूपरेखा तैयार की जा रही है।
बलरामपुर के डीएम अरविन्द सिंह ने शनिवार को बताया कि शासन स्तर से इसके लिए सहमति मिलने के बाद सोमवार 11 दिसंबर को एक बैठक बुलाई गई है। इसमें बड़े मंदिरों पर कार्य कर चुके हाईटेक आर्कीटेक्ट्स एवं विभागीय अधिकारी शामिल होंगे। आर्कीटेक्ट्स की टीम द्वारा मन्दिर के उच्चीकरण और सौंदर्यीकरण का प्रज़ेन्टेशन किया जाएगा।
डीएम ने बताया कि देवीपाटन मंदिर के मुख्य मन्दिर, आउटर एरिया एवं पूरे परिक्षेत्र का विकास मन्दिरों के निर्माण की पौराणिक नागर शैली (उत्तर भारतीय शैली), द्रविड़ शैली (दक्षिण भारतीय शैली) तथा वेसर शैली (मध्य भारतीय शैली) एवं स्थापत्य वास्तुकला का गहन अध्ययन करने के उपरान्त किया जाएगा। मंदिर के उच्चीकरण और सौंदर्यीकरण में उपयुक्त वास्तुकला का पूरा ध्यान रखा जाएगा और उसी के अनुसार प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।
जिलाधिकारी ने बताया कि जनपद में प्रस्तावित यूनिवर्सिटी के लिए भूमि की खरीद का कार्य पूरा होने के तुरंत बाद मंदिर के विकास के लिए बड़े पैमाने पर जमीन खरीदने का काम शुरू होगा।
उन्होंने बताया कि देवीपाटन में लगने वाले राजकीय मेले की ऐतिहासिक व धार्मिक महत्ता को देखते हुए श्रद्धालुओं के भारी भीड़ एवं वीवीआईपी आगमन को ध्यान में रखते हुए निरीक्षण भवन, लोक निर्माण विभाग तुलसीपुर परिसर में वीआईपी विश्रामालय के निर्माण के लिए 159 लाख रूपए की लागत का प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। शासन से स्वीकृति मिलने के बाद वीआईपी विश्रामालय के निर्माण का कार्य शुरू कराया जाएगा।
बता दें कि देवीपाटन मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। आगामी वित्तीय वित्तीय वर्ष में मंदिर के कायाकल्प का कार्य शुरू हो जाएगा। मंदिर के विकास के साथ ही आस-पास के सम्पर्क एवं मुख्य मार्गों की मरम्मत एवं अन्य पर्यटन सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए कार्य कराया जाएगा।