वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में 45वें दीक्षांत समारोह का आयोजन हुआ। समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल शामिल हुईं। इस दौरान राष्ट्रपति ने विद्यापीठ के विभिन्न संकायों में सर्वोच्च अंक पाने वाले 16 मेधावी विद्यार्थियों को पदक वितरित किए और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। वहीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का स्वागत कर पदक पाने वाले छात्रों को बधाई दी।
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में बेटियों के बेहतर प्रदर्शन में विकसित भारत और बेहतर समाज की झलक दिखाई देती है। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,, असहयोग आंदोलन से उत्पन्न संस्था के रूप में हमारे महान स्वाधीनता संग्राम का जीवंत प्रतीक है। उन्होंने कहा कि 10 फरवरी, 1921 को इस विद्यापीठ का उद्घाटन करते हुए महात्मा गांधी ने कहा था कि जितने सरकारी विद्यालय हैं, उनमें हमें विद्या नहीं लेनी है। हम उस झंडे के नीचे नहीं रह सकते, जिसको सलाम करने के लिए हमारे छात्रों को मजबूर किया जाता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि अगर हमारे विद्यालय खुलेंगे, तो विद्या अपने आप पवित्र हो जाएगी। विकसित भारत के निर्माण में काशी विद्यापीठ के विद्यार्थी व आचार्य की भूमिका अहम होगी। ऐसे सामाजिक ज्ञान केंद्र की परंपरा के अनुरूप इस विद्यापीठ के आचार्य और विद्यार्थियों को भी अपने संस्थान के गौरव को निरंतर समृद्ध करना चाहिए।
वहीं दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सराहना करते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में आप देश के विकास में अपनी विशिष्ट भूमिका का निर्वहन कर रही हैं। महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए नारी शक्ति वंदन बिल का जारी होना आपके कार्यकाल की महत्वपूर्ण उपलब्धि है। राष्ट्रपति देश की महिलाओं की सशक्तीकरण का सशक्त उदाहरण हैं।
इससे पहले महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में 45वें दीक्षांत समारोह की शुरूआत शैक्षणिक शिष्टयात्रा से हुई। इसके बाद काशी विद्यापीठ के कुलपति ने स्वागत भाषण दिया।