ग्रेगोरियन कैलंडर के अनुसार 16 दिसम्बर वर्ष 2023 का 350वां दिन है। दिसंबर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार वर्ष का बारहवां और आखिरी महीना है। 15 दिन बाद वर्ष 2024 का प्रारंभ हो जाएगा। जबकि विक्रम संवत 2080
के अनुसार आज शनिवार है, शिशिर ऋतु के
मार्गशीर्ष मास का शुक्ल पक्ष है और तिथि चतुर्थी है।
आज का राहुकाल 09:42 ए. एम.
से 10:59 ए. एम. तक है अतः किसी भी शुभ कार्य का प्रारम्भ राहुकाल में न करें।
इसके अलावा आज का अभिजित मुहूर्त 11:56 ए. एम. से 12:37 पी. एम. तक है, इस समय आप
किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत कर सकते हैं, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अभिजित
मुहूर्त में किए गए कार्यों में सफलता की संभावना अधिक रहती है।
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16 दिसंबर की
महत्त्वपूर्ण घटनाएँ
16 दिसंबर को हम
भारतीय, विजय दिवस के रूप में मनाते हैं। 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के जनरल
नियाज़ी ने 90 हज़ार पाकिस्तानी सैनिकों के भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया
था। इसी दिन बांग्लादेश को एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में स्थापित
करवाने में भारत ने प्रमुख भूमिका का निर्वहन किया था। अतः 16 दिसंबर हमारे लिए
गर्व करने का दिन है, और पड़ोसी पाकिस्तान के लिए शर्मनाक पराजय और आत्मसमर्पण का
दिन है।
16 दिसम्बर को जन्मे व्यक्ति
प्रखर राष्ट्रवादी और स्वाधीनता सेनानी
श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’ का
जन्म 1893 में हुआ था। श्यामलाल गुप्त ने ही झण्डा गीत ‘विजयी
विश्व तिरंगा प्यारा’ की रचना की थी। इस गीत का फिल्मों में
भी उपयोग किया गया।
मच्छरों से फैलने वाली घातक बीमारी मलेरिया की
खोज करने वाले नोबल पुरस्कार विजेता डॉ. रोनाल्ड रॉस का जन्म 1932 में हुआ।
भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध गीतकार एवं लेखक
प्रसून जोशी का जन्म 1968 में हुआ। प्रसून जोशी ने फिल्मों में हिंदी गीतों को
महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। उनकी रचनाएं सरल सहज होती हैं, साथ ही उनमें
काव्यात्मकता भी भरपूर होती है। वर्तमान में प्रसून जोशी फिल्म सेंसर बोर्ड के
अध्यक्ष हैं।
16 दिसम्बर को हुए निधन
प्रसिद्ध भारतीय इंजीनियर तथा वर्ष 1936 में ‘काशी हिन्दू विश्वविद्यालय’ के प्रति उपकुलपति
ज्वालाप्रसाद का निधन 1944 में हुआ।
परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय सैन्य अधिकारी
ए. बी. तारापोर ने 16 दिसंबर 1965 को पाकिस्तान युद्ध में अपनी सर्वोच्च बलिदान
दिया था। कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुरजोरजी तारापोर घायल
थे,
फिर भी लड़ते रहे। उन्हें पीछे हटने का आदेश मिला पर वो नहीं हटे और
युद्ध भूमि में डटे रहे। पीछे लौटते तो अपनी जान बचा सकते थे, लेकिन उन्होंने आगे बढ़ना स्वीकारा। उन्हें गोली लगी थी, पर वे दुश्मन को नेस्तनाबूत करने में जुटे हुए थे और तब तक जुटे रहे जब तक
स्वयं बलिदान नहीं हो गए। युद्ध में उन्होंने पाकिस्तान के 60 टैंकों को नष्ट कर
दिया था। उन्हें मरणोपरांत सर्वोच्च सैनिक सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया
गया।
भारतीय वायु सेना के सबसे वरिष्ठ और पांच सितारा
रैंक तक पहुँचने वाले एकमात्र मार्शल
अर्जन सिंह का निधन 2017 में हुआ। 1965 के पाकिस्तान युद्ध में जब भारतीय वायुसेना
ने आधुनिक युग का पहला युद्ध किया, तब वह वायु
सेना के प्रमुख थे। जब उन्हें भारतीय वायु सेना का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी
सौंपी गई, तब उनकी आयु 44 वर्ष थी, इस दायित्व
को उन्होंने पूरी तत्परता के साथ निभाया। मार्शल अर्जन सिंह की उपलब्धियों की सूची
बहुत लम्बी है। जनवरी 2002 में भारत सरकार ने अर्जन सिंह को वायु सेना के मार्शल
के पद से सम्मानित किया। अर्जन सिंह पहले और एकमात्र 5 सितार सैन्य अधिकारी हैं।