लखनऊ- शहर के बीच में कुकरैल नदी (वर्तमान का कुकरैल नाला) को पुन: नदी के रूप में स्थापित करने के लिए उसके किनारे बसे अवैध मकानों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू हुई। गुरुवार को सुबह से अपराह्न तक चली ध्वस्तीकरण की एलडीए की कार्रवाई के बीच में ही हाई कोर्ट का एक आदेश लेकर वहां अधिवक्ता पहुंचे और कार्रवाई पर रोक लग गयी।
आपको बता दें कि कुकरैल नदी की जमीन पर कुछ वर्ष पहले अवैध रूप से अकबर नगर फेज वन और फिर अकबर नगर फेज टू बनाया गया। जिसे एलडीए ने अवैध घोषित कर वहां रहने वाले लोगों को नोटिस दिया था। सुबह के वक्त एलडीए ने बुलडोजर लगाकर कुछ दुकानों, मकानों को ध्वस्त किया। इसी दौरान अधिवक्ताओं और भाजपा के मंडल अध्यक्ष मंगल व स्थानीय लोगों ने विरोध करना शुरु किया। तभी हाईकोर्ट का आदेश पत्र लेकर कुछ अधिवक्ता वहां पहुंचे तो एलडीए के अधिकारियों ने आदेश के आधार पर 22 जनवरी की अगली सुनवाई तक ध्वस्तीकरण को पूर्णत: रोक दिया।
ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के लिए मौके पर पहुंचे एलडीए के उपाध्यक्ष डा. इन्द्रमणि, पुलिस उपायुक्त अपर्णा रजत कौशिक सहित अन्य अधिकारी शाम को लौट गये। कुकरैल नदी के किनारे कार्रवाई के दौरान उधर से गुजरने वाले वाहनों को डायवर्जन किया गया।जिससे कुछ प्रमुख मार्गों में जाम भी लगा।
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उल्लेखनीय है कि योगी सरकार प्रदेश भर में अवैध रूप से बसाई गई बस्तियों और सरकारी भूमि के पर किए गए अतिक्रमण पर ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है। इसी के तहत जगह जगह कार्रवाई की जा रही है। एक तरफ जहां यह अतिक्रमणकारी सरकारी भूमि पर अनधिकृत रूप से कब्जा करते हैं वहीं इन अवैध बस्तियों से आपराधिक गतिविधियां भी संचालित की जाती हैं। ऐसी घनी बस्तियों में अपराधियों को चिन्हित करना और उन तक पहुंचना पुलिस के लिए भी चुनौती बन जाती है। ऐसे मामलों में कोर्ट का हस्तक्षेप निश्चित रूप से सरकार की मंशा और कार्य प्रणाली को बेपटरी कर देता है।
Kukrail’s illegal houses demolition stopped by Highcourt