अयोध्या में आर्टिफिशियल चट्टान पर बन
रहा श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, 50 एकड़ भूभाग पर लगाए जाएंगे पेड़-पौधे
अयोध्या। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य
श्रीराम मंदिर बनाया जा रहा है। यह मंदिर कई मामलों में अद्भुत होगा। श्रीराम
मंदिर न सिर्फ आर्टिफिशियल चट्टान पर बन रहा है, बल्कि इसके चारों तरफ हरियाली होगी। मंदिर
निर्माण के लिए मिले करीब 70 एकड़ जमीन में से 50
एकड़ भूभाग पर पेड़-पौधे लगाए जाएंगे। 600 पेड़-पौधों
से हरा भरा किया जाएगा।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री
चम्पत राय ने मंगलवार को तीर्थ भवन में पत्रकारों से वार्ता की। उन्होनें बताया कि
मंदिर निर्माण के समय में नींव खड़ा करने के लिए जमीन नहीं मिल रही थी। बताया कि
जिस स्थान पर खुदाई की जा रही थी वहां केवल बालू था और नींव खड़ी करना बहुत बड़ी
चुनौती थी, फिर देश के अनेक आईआईटी का सहयोग मिला, इसके बाद निर्माण की
राह आसान हुई। मंदिर की नींव को नमी से भी बचाना था। बचाने की कोशिशों पर भी गौर
किया गया। आखिर में ग्रेनाइड का इस्तेमाल करके 14 मीटर मोटा आर्टिफिशियल चट्टान तैयार किया
गया तब जाकर निर्माण कार्य शुरू किया जा सका। इस कार्य में सिर्फ 2.50 प्रतिशत
सीमेंट का इस्तमाल हुआ है। इसमें कंक्रीट और मोरंग बालू का इस्तेमार न के बराबर
हुआ है।
चम्पत राय ने बताया कि चट्टान तैयार करने में काफी
मशक्कत करनी पड़ी थी। नींव की खुदाई में पहले 14
मीटर गहराई तक बालू हटाया गया था। इसका कारण यह था कि जमीन के नीचे
मिट्टी थी ही नहीं। ऐसा होने पर फिर इसे स्टोन डस्ट और कोयले की राख से भरा गया। इसमें सीमेंट का
महज 2.5 प्रतिशत ही
इस्तेमाल हुआ है। भराई के इस काम को 64
लेयर से पूरा हुआ है। पहले जमीन से पानी निकाला गया उससे नमी
कम करने का काम किया गया। फिर लेयर को रोलर से दबाया गया।
मंदिर निर्माण से जुड़े गोवा के
इंजीनियर गिरीश सहस्र भोजनी ने बताया कि मंदिर निर्माण में 14 फिट चौड़े
परकोटे का इस्तेमाल किया गया है, यह इसकी विशेषताओं में से एक है। इसके चारों तरफ दिशाओं
की कुल लंबाई 800 मीटर होगी। यह अपने आप में अद्भुत है। इसके चारों किनारों पर
चार मंदिर होंगें। इसे द्रविण शैली का लुक दिया जा रहा है। डबल स्टोरी के इस
परकोटे के निचले हिस्से में सीसी टीवी कैमरे,
पूजा सामग्री और अन्य सामान रखने की व्यवस्था होगी और ऊपरी
हिस्से का उपयोग परिक्रमा मार्ग के रूप में किया जाएगा। ऊपरी हिस्से पर बनने वाले 6 मंदिर, आदि शंकराचार्य
के पंचायतन कान्सेप्ट की गवाही देंगे।
न्यास ने मंदिर क्षेत्र में होने वाले जल के उपयोग
के लिए सीवरेज सिस्टम भी बन रहा है। यह बहुत मजबूत होगा। सीवर के पानी को साफ कर
फिर से उपयोगी बनाने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट भी होगा। दो वाटर प्लांट और एक पावर हॉउस की बनाया जाएगा। इसके अलावा सड़क
किनारे वाले क्षेत्र में ही वाटर ग्राउंड रिजर्व स्थापित करने का भी कार्य होगा।
श्रद्धालुओं के लिए स्वच्छ पेयजल की भी व्यवस्था-
न्यास के महामंत्री चम्पत राय ने बताया कि यहां
तीर्थ यात्रियों की प्यास मिटाने और उनके स्वास्थ को अनुकूल रहने का पूरा प्रबंध
रहेगा। दर्शानार्थियों को पीने का स्वच्छ जल मुहैया कराया जाएगा। इसके लिए 400 फिट अंदर
का भूजल 24 घंटे
विभिन्न प्वाइंट्स से उपलब्ध रहेंगा। इसके लिए जनरेटर की भी व्यवस्था होगी। तकनीकी
से लैस दर्शनार्थियों के लिए चार्जिंग प्वाइंट्स भी बनाएं जाएंगें, ताकि 380 फुट लंबे
और 250 फुट चौड़े
श्रीराम मंदिर परिसर में मोबाइल, लैपटॉप आदि इंस्ट्रूमेंट चार्ज करने में दिक्कत न हो।