Lucknow
News: सीएम योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर आंदोलन के
अग्रदूत, राजस्थान के
पूर्व राज्यपाल व उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम कल्याण सिंह की जयंती पर उन्हें नमन किया। लखनऊ में
आयोजित एक कार्यक्रम के
माध्यम से सीएम ने कल्याण
सिंह के चित्र पर
माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस कार्यक्रम में डिप्टी सीएम केशव
प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, जलशक्ति मंत्री स्वत्रंत देव सिंह, संदीप सिंह और मेयर सुषमा
खर्कवाल आदि लोग शामिल हुए। सीएम योगी
ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म
एक्स पर कल्याण सिंह को याद करते हुए लिखा कि समाज और राष्ट्र की नि:स्वार्थ सेवा
के लिए श्रद्धेय ‘बाबू जी’ हमेशा याद किए जाएंगे।
अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण के पीछे कल्याण सिंह का बड़ा योगदान-
राममंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे और
दो बार उत्तर प्रदेश के सीएम रहे कल्याण सिंह का सम्पूर्ण जीवन संघर्षों भरा रहा है। उन्होंने देश की राजनीति
में हिंदुत्व के नायक का दर्जा
हासिल किया।
इंटर कॉलेज के शिक्षक से लेकर सीएम व राज्यपाल बनने तक का उनका सफर अत्यंत संघर्षों
से भरा है।
मूल रूप से अलीगढ़ की अतरौली तहसील
के मढ़ौली गांव में एक साधारण किसान परिवार में जन्मे कल्याण सिंह प्रदेश की
राजनीति के शिखर पर पहुँचने में सफलता
हासिल की।
बचपन से ही वह राष्ट्रीय स्वयं
सेवक संघ की शाखाओं में जाते थे। उच्च शिक्षा प्राप्त कर अतरौली के इंटर कॉलेज में वह अध्यापक बने। कल्याण सिंह 1967 में पहली बार अतरौली से विधायक बने और 1980 तक लगातार जीत हासिल करते रहे। कल्याण सिंह के साथ काम कर चुके लोग
बताते हैं कि उन्होंने भाजपा को खड़ा करने में दिन रात एक किया। राम जन्मभूमि के स्थल पर जो कलंक का ढांचा खड़ा था उसे मिटाने का कार्य कल्याण सिंह ने किया। अगर वह न होते तो अयोध्या में श्रीरामलला के मंदिर का सपना सिर्फ एक सपना बनकर रह जाता।
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06 दिसम्बर 1992 में जब विवादित ढांचे को कारसेवकों ने ध्वस्त किया, उस समय कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के सीएम थे। वरिष्ठ पत्रकार नरेन्द्र भदौरिया के अनुसार जब ढांचा गिराया जा रहा था उनके मंत्रिमण्डल के सहयोगियों ने उनसे पूछा कि अब क्या होगा, उस समय कल्याण सिंह ने कहा कि मेरे पास दो ही विकल्प है या तो मैं अपनी सरकार बचाऊं या फिर कारसेवकों को। उन्होंने कहा कि जब इतना बड़ा आन्दोलन आज अपने परिणाम पर पहुंचने को है, तो इस कलंक को मिट जाने देते हैं, जिससे असंख्य लोगों का बलिदान व्यर्थ न जाने पाए।
उधर विवादित ढ़ांचा जैसे ही गिरा कल्याण सिंह ने तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अधिकांश लोग पत्रकार और कम्युनिस्टी देश के बहुसंख्यक हिन्दुओं को नीचा दिखाने का प्रयत्न कर रहे थे। उस समय सारे नेता मौन थे। कोई कुछ बोलने का साहस नहीं जुटा पा रहा था। कल्याण सिंह का मौन जवाब दे गया उन्होंने प्रेसवार्ता बुलाई और खुले मन से पत्रकारों के सभी प्रश्नों का उत्तर दिया। कल्याण सिंह ने कहा ‘जो ढांचा ढहा, वह कलंक का ढांचा था। जिसे भारत के गौरव को मिटाने के लिए खड़ा किया गया था। उसके ध्वस्त होने पर मुझे गर्व है। इन तीन पंक्तियों के माध्यम से उन्होंने सम्पूर्ण हिन्दू समाज को मानो संजीवनी दे दी थी।