अयोध्या: सिद्ध संत देवरहा बाबा से राम मंदिर के बारे में जब कोई पूछता, तो उनके मुख से बस यही निकलता ‘भगवान राम का भव्य मंदिर बनेगा, इसमें कोई दुविधा नहीं है।’उनकी भविष्यवाणी राम भक्तों के लिए आशा की किरण बनी हुई थी। वह राम भक्तों से यह भी कहते थे कि राम मंदिर वहीं बनेगा, जहां बनना चाहिए। अब उनकी यह भविष्यवाणी साकार हो रही है।
देवरहा बाबा थे अलौकिक संत
देवरहा बाबा अलौकिक संत थे। महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग में पारंगत थे। उनकी उम्र का ठीक-ठीक अनुमान किसी को नहीं हैं। हां, जनमानस में यह धारणा अवश्य थी कि वह 250 से भी अधिक वर्ष की आयु पार कर चुके हैं। बाबा कभी धरती पर नहीं रहते थे। हमेशा सरयू या गंगा नदी के तट पर 12 फुट ऊंचे मचान पर निवास करते थे।
उन्होंने हिमालय में साधना की थी और बारहों महीने निर्वस्त्र रहते थे। बाबा का आशीर्वाद बड़ा प्रभावी होता था। दूर-दूर से लोग बाबा से आशीर्वाद लेने आते थे। उनके भक्तों में राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, अशोक सिंघल जैसी बड़ी विभूतियां सम्मलित थीं।
भविष्यवाणी की थी कि मस्जिद का ढांचा नहीं बचेगा
एक बार कुछ सरकारी अधिकारी फाइलों का गट्ठर लेकर देवरहा बाबा के पास आए थे। उन फाइलों को देखकर बाबा ने भविष्यवाणी की थी’यह मात्र कागज का पोथा है। वह मस्जिद नहीं है। जो ढांचा है, एक दिन वह भी नहीं बचेगा। लोग उसकी एक-एक ईंट उठाकर ले जाएंगे। वहां कुछ भी नहीं बचने वाला है। ‘आखिरकार वही हुआ। देवरहा बाबा की भविष्यवाणी सच साबित हुई। बाबा ने 1990 में अपने शरीर का त्याग कर दिया था। लेकिन, दो वर्ष बाद ही विवादित ढांचा गिरा दिया गया था।
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वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र बताते हैं कि इंदिरा गांधी के सामने जब कोई समस्या आती थी तो समाधान के लिए वह बाबा के पास जाती थीं। 1989 के आम चुनाव से पहले राजीव गांधी भी बाबा से मिलने वृंदावन गए थे। तब विश्व हिंदू परिषद और सरकार के बीच शिलान्यास स्थल को लेकर गहरा विवाद चल रहा था। उसका रास्ता बाबा ने ही निकाला था।