Agra News- शुक्रवार को आगरा जिला न्यायालय में शाही जामा मस्जिद की सीढ़ियों में
केशवदेव मंदिर के श्रीकृष्ण विग्रह दबे होने के मामले में सुनवाई नहीं
हो सकी। अब इस मामले में अगली सुनवाई 12
फरवरी को होगी।
दरअसल, आगरा जिला न्यायालय में शाही जामा मस्जिद को लेकर मामला लम्बित है, जिसमें वादी पक्ष श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट ने जामा मस्जिद में सर्वे कराने और एएसआई को पार्टी बनाने की मांग
की थी। बताते चलें कि प्रतिवादी पक्ष की ओर से न्यायालय में
प्रार्थना-पत्र दे कर कहा गया था कि, ये वाद यहां पर दायर न करा कर किसी दूसरी न्यायालय में दायर
किया जाए, जिसको न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया था।
पढ़िए क्या है पूरा मामला
कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर
के नेतृत्व में मई माह में श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट की तरफ से आगरा जिला न्यायालय में वाद दायर किया गया था। इस वाद में
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ और इंतजामिया कमेटी शाही जामा
मस्जिद को प्रतिवादी बनाया गया था। इस वाद
में वादी पक्ष ने दावा किया था कि जामा मस्जिद के नीचे केशवदेव मंदिर के
श्रीकृष्ण विग्रह दबे हैं।
ट्रस्ट के अनुसार, 1670 में मुगल शासक
औरंगजेब ने मथुरा कृष्ण जन्मभूमि से भगवान केशवदेव के
विग्रह को लाकर आगरा की जामा मस्जिद (जहांआरा बेगम मस्जिद) की सीढ़ियों के नीचे दबा दिया था। इसलिए, न्यायालय पहले जामा मस्जिद की सीढ़ियों से लोगों का आवागमन बंद कराए। उसके बाद जामा मस्जिद की सीढ़ियों का एएसआई सर्वे करवाया
जाए। सर्वे के माध्यम से वहां भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियां निकाली
जाएं।
बता दें कि इस मामले
को लेकर कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर आगरा में सनातन जागृति कार्यक्रम भी कर चुकें हैं। इस सम्मलेन में उन्होंने सनातनी धर्म के लोगों को एकजुट होकरआंदोलन करने की अपील की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि, जब तक मैं जामा
मस्जिद से मेरे आराध्य को मुक्त नही करा
लेता, तब तक मैं संघर्ष जारी रखूंगा।
एएसआई सर्वे से सच आएगा
सामने
इस मामले में
श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद शुक्ला ने कहा है कि, जामा मस्जिद का सच सबके सामने लाने के लिए हमने पहले
न्यायालय से मांग की है कि, एएसआई सर्वे कराया
जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले
का विवाद एएसआई सर्वे से खत्म किया जा सकता है क्योंकि, सर्वे रिपोेर्ट के
बाद सच्चाई सामने आ जाएगी।
मथुरा से औरंगजेब लाया
था विग्रह और पुरावशेष
वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर
बताते हैं कि, मुगलशासक शाहजहां की 14
संतानें थीं।
शाहजहां की बेटी जहांआरा ने सन् 1643 से 1648 के बीच में जामा
मस्जिद का निर्माण करवाया था। इनके अनुसार, 16वीं शताब्दी के 7वें दशक में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त करवाया था। वो केशवदेव
मंदिर की मूर्तियों के साथ ही और कई पुरावशेष मथुरा से आगरा लेकर
आया था। उसने मूर्तियों और पुरावशेष को
जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबवा दिया था। उन्होंने बताया कि कई इतिहासकारों ने इसका उल्लेख अपनी पुस्तकों में किया है।