लखनऊ: उत्तराखंड विधानसभा में 6 फरवरी को कॉमन सिविल कोड (ccc) बिल पेश हुआ। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस बिल को विधानसभा के पटल पर रखा। जिसके बाद दिन भर विधानसभा में बिल पर चर्चा हुई। इस दौरान भाजपा विधायकों ने ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाए तो दूसरी तरफ विपक्ष के विधायकों ने सदन में जमकर हंगामा किया। इस बिल को लेकर देश भर से राजनेताओं व मौलानाओं की प्रतिक्रिया आ रही हैं।
सीसीसी बिल पर प्रतिक्रिया देते हुए समाजवादी पार्टी के सांसद एमटी हसन ने कहा है कि ‘अगर कोई ऐसा कानून बनाया जाता है, जो कुरान के सिद्धांतों के खिलाफ है, तो हम उससे सहमत नहीं होंगे। सपा सांसद ने कहा जो मुसलमानों को कुरान में हिदायत दी गई हैं, अगर उसके खिलाफ कोई कानून बनता है तो हम उसे मामने को तैयार नहीं हैं। जैसे कि हम 1450 सालों से बेटियों को संपत्ति में हिस्सा देते आ रहे हैं। कितना देते हैं, वो अलग बात है। उसके खिलाफ कोई कानून बनता है तो हम उसे मानने को तैयार नहीं है।
वहीं, सीसीसी पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा कि ‘इस देश में अलग-अलग रंग के फूल हैं। अलग-अलग रंग के फूलों की महत्ता है। आप पूरे देश को एक रंग में रंग देना चाहते हैं। ये कहीं से भी भारत जैसे विविधता वाले देश के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा अंकिता भंडारी को आजतक इंसाफ नहीं मिला है। उत्तराखंड में आज भी लोगों के पास रोजगार नहीं है, अग्निवीर योजना को लेकर युवाओं में गुस्सा है। इस सारे मुद्दों पर घिरी हुई उत्तराखंड की सरकार के और कुछ नहीं है।
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सीसीसी बिल पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि ‘जहां तक सीसीसी का सवाल है, हमारी राय है कि प्रत्येक में एकरूपता नहीं लाई जा सकती है। हर कानून और यदि आप किसी समुदाय को इस सीसीसी से छूट देते हैं, तो इसे एक समान संहिता कैसे कहा जा सकता है? ऐसे किसी समान नागरिक संहिता की कोई आवश्यकता नहीं थी। मसौदा विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत होने के बाद, हमारी कानूनी टीम इसका अध्ययन करती है और फिर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।