Varanasi News- वाराणसी
जिला न्यायालय के आदेश के बाद से ज्ञानवापी तलग्रह में पूजा-पाठ शुरू हो चुकी है। पूजा-पाठ
को बंद करने के लिए मुस्लिम पक्ष की तरफ से न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल
की सिंगल बेंच ने नए केस के अन्तर्गत सुनवाई की। करीब 1 घंटे तक
हिन्दू पक्ष और मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने आगे की सुनवाई के
लिए 15 फरवरी की तारीख दी है। बता दें कि 6 फरवरी को दोनों पक्ष के बीच लगभग ढाई
घंटे की बहस हुई थी। जिसके बाद न्यायालय ने 12
फरवरी को अगली सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की थी।
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वाराणसी
के ज्ञानवापी स्थित व्यास जी के तलग्रह में पूजा-पाठ पर रोक लगाने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सुनवाई की
गई। इस मामले में यूपी सरकार ने भी अपना जवाब दाखिल किया। बता दें कि 6 फरवरी
को ज्ञानवापी
मस्जिद कमेटी काउंसिल के वकील पुनीत गुप्ता और एडवोकेट नकवी ने अपना पक्ष रखा।
वकील ने न्यायालय के
सामने रखा बाबरी मस्जिद का मामला
इस दौरान सैय्यद फरमान नकवी ने बाबरी मस्जिद मामले को भी न्यायालय के सामने
रखा। उन्होंने कहा कि बाबरी मामले में निर्मोही अखाड़े के एक व्यक्ति ने अधिकार
मांगा था, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने जमीनी जांच के बाद याचिका को ख़ारिज कर दिया
था। यहां पर 31 साल बाद वे अपना हक मांगने आते हैं और
निचली अदालत ने उनके आवेदन को मंजूर भी कर लिया। हाईकोर्ट में मस्जिद कमेटी के
वकील पुनीत गुप्ता और फरमान नकवी ने बहस की है। न्यायालय ने इस मामले में अगली
सुनवाई के लिए 15 फरवरी की तारीख तय की है।
पिछली सुनवाई में ये दलीलें दी गईं
इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय ने दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति
रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने दोनों पक्षों को अपना-अपना दावा साबित करने को कहा
था। इस दौरान ज्ञानवापी तहखाने में मिले पूजा के अधिकार को जहां मंदिर पक्ष ने सही
बताया था, वहीं मुस्लिम पक्ष ने मंदिर पक्ष और
यूपी सरकार के बीच साठगांठ होने का आरोप लगाया था। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि
तहखाने का प्रयोग सिर्फ स्टोर रूम के रूप में होता था, लेकिन हिन्दू पक्ष का दावा है कि वहां साल 1993 से पहले तक रोजाना
पूजा होती थी।