पंजाब के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर विरोध प्रदर्शन के लिए दिल्ली पहुंचने की कोशिश में लगे हैं। किसानों का ये प्रदर्शन धीरे-धीरे उग्र होता हुआ नजर आ रहा है। मंगलवार को हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर किसानों और पुलिस के बीच झड़प भी देखने को मिली। इस दौरान पुलिस की तरफ से आंसू गैस के गोले छोड़े गए। वहीं देखते-देखते इस विरोध प्रदर्शन की आंच अब जींद बॉर्डर पर भी पहुंच गई है। यहां भी किसानों और हरियाणा पुलिस में झड़प हुई है। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए ड्रोन से आंसू गैस के गोले छोड़े हैं।
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इस मामले में किसानों का कहना है कि इस बार जबतक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, वो वापस नहीं जाएंगे। बता दें कि पंजाब के किसान संगठनों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी को लेकर दिल्ली चलो का आह्वान किया था। किसान एमएसपी के साथ ही स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने एवं लखीमपुर खीरी हादसे पर सख्त कार्रवाई करने जैसी मांगों पर अड़े हैं। इससे पहले सोमवार को देर रात केंद्र सरकार के मंत्रियों और किसान संगठनों के बीच बैठक हुई थी, जिसमें एमएसपी समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई। हालांकि, फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी पर बात अटक गई।
एमएसपी को लेकर किसानों की क्या है मांग ?
प्रदर्शनकारी किसानों की मांग है कि केंद्र न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी की गारंटी वाला कानून लाए। दिल्ली कूच से पहले 12 फरवरी को किसानों और केंद्रीय मंत्रियों के बीच बैठक हुई, लेकिन इस बैठक में एमएसपी जैसी मांगों पर सहमति नहीं बन पाई।
क्या है न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी ?
एमएसपी वह निश्चित मूल्य है, जिस पर केंद्र और राज्य सरकारें और उनकी एजेंसियां किसानों से अनाज खरीदती हैं। यह खरीद प्रक्रिया केंद्रीय पूल के तहत होती है, जिसका उपयोग सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानि पीडीएस और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत अनाज मुहैया कराने के लिए किया जाता है। इसके अलावा अनाज को बफर स्टॉक के रूप में रिजर्व भी किया जाता है।