उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के चर्चित बेहमई हत्याकांड में करीब 43 साल बाद फैसला आया है। इस मामले में एक आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई, जबकि दूसरे आरोपी को बरी कर दिया गया।
बुधवार को कानपुर देहात की कोर्ट ने सजा सुनाते हुए एक आरोपी को उम्रकैद की सजा और दूसरे आरोपी को बरी कर दिया। बता दें कि 1981 के इस मामले में वादी के साथ-साथ मुख्य आरोपी फूलन देवी सहित कई आरोपियों की मौत हो चुकी है। इस घटना में कुल 34 लोगों को आरोपी बनाया था। कोर्ट ने जेल में बंद दो आरोपियों में एक आरोपी श्याम बाबू को बेहमई कांड में दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई,, जबकि एक आरोपी विश्वनाथ को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।
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क्या है बेहमई हत्याकांड ?
14 फरवरी 1981 में कानपुर देहात के राजपुर इलाके में यमुना किनारे बसे बेहमई गांव में डकैत रही फूलन देवी ने लाइन में खड़ा करके 20 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना की दूर-दूर तक खूब चर्चा हुई थी। घटना के बाद जब सभी लोग डरे-सहमे थे, तब उस गांव के ही रहने वाले राजाराज ने इस मामले में मुकदमा लिखवाया था।
राजाराम ने फूलन देवी और मुस्तकीम समेत 14 को नामजद कराते हुए 36 डकैतों के खिलाफ पुलिस में केस दर्ज कराया था। पूरे देश को दहला देने वाली इस घटना के करीब 43 साल बाद पीड़ितों को न्याय मिल पाया है। वहीं इस बहुचर्चित मुकदमे में नामजद अधिकांश डकैतों के साथ ही 28 गवाहों की भी मौत हो चुकी थी। उधर,, इस मामले में वादी राजाराम की भी मौत हो चुकी है।
31 वर्ष बाद हुई थी पहली गवाही
बेहमई कांड में पहली गवाही 31 वर्ष बाद हुई थी। इसके बाद मुकदमे ने रफ्तार पकड़ी और वर्ष 2020 में लगा कि फैसला आएगा,, लेकिन फिर 2020 में केस डायरी ही गायब हो गई,,और इससे फैसला अटक गया था।