लखनऊ: लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में एक बार फिर से योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें लगाई जाने लगी हैं। चुनाव आचार संहिता लगने से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने मंत्रिमंडल के विस्तार की स्वीकृति दे सकते हैं। इस बार संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा नेताओं के साथ-साथ सहयोगी दल सुभासपा और रालोद के नेताओं को भी स्थान मिल सकता है।
इसी बीच योगी मंत्रिमंडल में शामिल होने के प्रबल दावेदार माने जाने वाले सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर की टिप्पणी सामने आई है। उन्होंने कहा कि ‘यदि सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली तो होली नहीं मनाऊंगा।’ अब राष्ट्रीय लोक दल भी भाजपा गठबंधन में शामिल हो चुकी है। रालोद के सभी विधायकों ने राज्यसभा के चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों को वोट किया है। ऐसे में रालोद के साथ-साथ सुभासपा का मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भाजपा पर दबाव बढ़ गया है। सूत्रों से अनुसार, मार्च के दूसरे सप्ताह तक योगी सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है।
मंत्रिमंडल विस्तार के सवालों पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि ‘मंत्रिमंडल का विस्तार करना मुख्यमंत्री का विवेकाधिकार होता है। मुख्यमंत्री जब चाहेंगे वह मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं।’
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राजनैतिक विश्लेषक डॉ दिलीप अग्निहोत्री ने कहा कि बीजेपी नीति के अनुसार गठबंधन धर्म का पालन करती है। गठबंंधन के सभी साथियों को सम्मान के साथ सरकार में भी समायोजित करती है। पिछले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियां बदली हैं। ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा के बाद अब रालोद भी NDA का हिस्सा है। इन बदली हुई परिस्थितियों में ‘सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास’ के आधार पर सरकार में हिस्सेदारी दी जा सकती है। अगर मंत्रिमंडल में फेरबदल होता है तो उसके पहले मंत्रियों के कार्यों की भी समीक्षा होनी चाहिए।