दिल्ली हाई कोर्ट ने अलगाववादी नेता यासीन मलिक की कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी की अनुमति दे दी है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया। तिहाड़ जेल प्रशासन ने व्यक्तिगत पेश करने के हाई कोर्ट के पूर्व के आदेश में संशोधन की मांग की थी। तिहाड़ जेल प्रशासन ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर यासीन मलिक की व्यक्तिगत तौर पर दिल्ली हाई कोर्ट में पेशी के आदेश में संशोधन किए जाने की मांग करते हुए अर्जी दाखिल की थी।
दरअसल, हाई कोर्ट ने 29 मई को अपने आदेश में यासीन मलिक के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी किया था। हाई कोर्ट ने 9 अगस्त को यासीन मलिक को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। यासीन मलिक फिलहाल तिहाड़ जेल में टेरर फंडिंग के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है। एनआईए ने हाई कोर्ट से यासीन मलिक की फांसी की सजा की मांग की है।
25 मई 2022 को पटियाला हाउस कोर्ट ने हत्या और टेरर फंडिंग के मामले में दोषी करार दिए गए यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। पटियाला हाउस कोर्ट ने यासीन मलिक पर UAPA की धारा 17 के तहत उम्रकैद और 10 लाख रुपये का जुर्माना, धारा 18 के तहत 10 साल की कैद और 10 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 20 के तहत 10 वर्ष की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 38 और 39 के तहत पांच साल की सजा और पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया था।
कोर्ट ने यासीन मलिक पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत 10 वर्ष की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 121ए के तहत 10 साल की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने कहा था कि यासीन मलिक को मिली ये सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। इसका मतलब की अधिकतम उम्रकैद की सजा और 10 लाख रुपये की सजा प्रभावी होगी।